
प्रयागराज का तक्षकेश्वरनाथ मंदिर
प्रयागराज में यमुना नदी के किनारे दरियाबाद इलाके में एक खास जगह है, जिसे तक्षकेश्वरनाथ मंदिर कहते हैं। यह मंदिर बड़ा शिवाला इलाके में स्थित है और इसकी कहानी बेहद पुरानी और बड़ी ही दिलचस्प है।

तक्षक नाग की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, जब भगवान कृष्ण ने तक्षक नाग को मथुरा से भगाया। तक्षक नाग ने आकर इसी जगह पर शरण ली। इस वजह से यह स्थान तक्षक कुंड के नाम से भी जाना जाता है। तक्षक नाग को नागों का राजा माना जाता है, और कहा जाता है कि कलयुग में वे ही सबसे प्रमुख हैं। यहां भगवान शिव की पूजा होती है और लोगों का मानना है कि यहां दर्शन करने से सर्प दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।

तक्षकेश्वरनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व
इस मंदिर का जिक्र पद्म पुराण में भी मिलता है। कहानी कहती है कि जब राजा परीक्षित को तक्षक नाग ने डसा था, तो उसके प्रायश्चित के लिए यहां मूर्तियों की स्थापना की गई थी। मान्यता यह भी है कि जो कोई इस मंदिर के दर्शन करता है, उसके वंशजों को कभी सर्प नहीं काटता।

तक्षकेश्वरनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार
मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर है। गंगा-यमुना के संगम के पास होने के कारण यहां की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है। लोग यहां आकर न सिर्फ धार्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं, बल्कि प्रकृति का भी आनंद लेते हैं।

दिलचस्प घटनाएँ
1981 में इस मंदिर में एक चोरी हुई थी। चोर माँ दुर्गा की अष्टधातु से बनी मूर्ति चुरा ले गए थे। यह मूर्ति बाद में पालम हवाई अड्डे पर पकड़ी गई, जब इसे न्यूयॉर्क ले जाया जा रहा था।
तक्षकेश्वरनाथ मंदिर में सांपों का आना-जाना
स्थानीय लोग बताते हैं कि सावन के महीने में यहां सांपों का आना-जाना बढ़ जाता था। लेकिन ये सांप किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते थे और शिवलिंग के दर्शन के बाद वापस लौट जाते थे। आज भी यहां सांप दिखना आम बात है, और लोग मानते हैं कि शिवलिंग के दर्शन से कालसर्प दोषों से मुक्ति मिलती है। तक्षकेश्वरनाथ मंदिर न सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह एक अद्भुत कहानी भी समेटे हुए है। अगर आप कभी प्रयागराज जाएं, तो इस अनोखे मंदिर के दर्शन जरूर करें।