सुजावन देव घूरपुर प्रयागराज

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Sujavan Dev Prayagraj Allahabad

सुजावन देव का प्राचीन मंदिर कहाँ है?

यमुना पुल से 15 किलोमीटर दूर रीवा रोड पर स्थित है घूरपुर बाजार। घूरपुर चौराहे से 3 किलोमीटर अंदर देवरिया नामक एक गांव में यमुना नदी के किनारे स्थित है सुजावन देव का प्राचीन मंदिर। बाढ़ के समय यह मंदिर यमुना नदी के बीच में आ जाता है। धरातल से ये मंदिर लगभग 150 फिट की ऊंचाई पर है।

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सुजावन देव मंदिर के बारे में कैसे पता चला?

यमुना को पार करने के लिए 1859 में अंग्रेजों ने पुल का निर्माण शुरू करवाया। 1862 तक इस पुल के सभी पिलर बनकर तैयार हो गए थे लेकिन समस्या आ रही थी पिलर नंबर 13 को बनाने में। इस जगह यमुना का बहाव सबसे ज्यादा तेज था और गहराई भी बहुत अधिक थी। जिसकी वजह से बनाया गया ढांचा और ईटे बार-बार उखड़ जाती थी। ब्रिटिश इंजीनियर मिस्टर सिवले को ऐसी ईटों की तलाश थी जो पिछले कई सौ सालों से अभी भी बेहतर स्थिति में हो ताकि यमुना के तेज प्रवाह को झेल सकें। ईटों को खोजने के लिए यह काम कुछ स्थानीय ठेकेदारों को सौंपा गया। अलग-अलग जगहों पर खुदाई करने के दौरान भीटा के इस ऐतिहासिक क्षेत्र के बारे में पता चला।

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सुजावन देव मंदिर कैसे बनकर तैयार हुआ?

इतिहासकारों के अनुसार ऐसा अनुमान है कि जब 1583 में अकबर ने यमुना नदी के किनारे किले का निर्माण शुरू करवाया तो अच्छी गुणवत्ता के पत्थरों की आवश्यकता थी ऐसे पत्थर जो यमुना नदी के किनारे ही पाए जाते हो और आज भी अच्छी स्थिति में हो। ताकि यमुना के बहाव को वह झेल सके। इसलिए यमुना नदी के किनारे-किनारे पत्थरों की खोज शुरू की गई। यह खोज समाप्त हुई भीटा क्षेत्र के देवरिया गांव में। पत्थरों को काटकर नाव के द्वारा बड़े बड़े टुकड़ों को संगम पर लाया जाता था। लेकिन इसी क्षेत्र में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर था। जिसे यहां के स्थानीय लोगों द्वारा नष्ट होने से बचा लिया गया। आसपास के पत्थर काटकर जब निकाल लिए गए तो सुजावन देव का इतना हिस्सा शेष रह गया। जो आज भी वर्तमान स्थिति में देखा जा सकता है।

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सुजावन देव मंदिर का इतिहास क्या है?

शाहजहां के समय शाइस्ता खां इलाहाबाद का सूबेदार था। 1645 में उसने सुजावन देव के इस मंदिर को तुड़वा कर जुआ खेलने के लिए यहां पर एक बैठका बनवाया। जिसका व्यास लगभग 21 फीट के आसपास था। हिंदुओं की भावनाएं जब आहत हुई तो उन्होंने इस जगह पर हमला करके इसे अपने कब्जे में ले लिया और एक बार फिर से भगवान शिव की प्रतिमा को स्थापित किया गया।

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सुजावन देव प्रयागराज इलाहाबाद
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