प्रयागराज जिले का परिचय


वैश्विक स्तर पर प्रयागराज जनपद की स्थिति

सन 2023 में इस पृथ्वी पर प्रमाणित रुप से कुल 195 देश मौजूद हैं जिनकी कुल जनसंख्या है लगभग 800 करोड़ । जिसमें से 138 करोड लोग रहते हैं भारत में। यह जनसंख्या भारत के 28 राज्यों एवं 8 केंद्र शासित प्रदेशों में निवास करती है। वर्तमान जनगणना के आधार पर लगभग 24 करोड लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं। पूरे उत्तर प्रदेश को 18 मण्डल अर्थात डिवीजन में विभाजित किया गया है। जिसमें प्रयागराज डिवीजन में 4 जिले आते हैं- प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी एवं प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ को उत्तर प्रदेश का 70वां जिला कहा जाता है । 2024 में इसकी अनुमानित जनसंख्या होगी लगभग 72 लाख।

प्रयागराज जनपद का नामकरण

प्रयागराज का इतिहास अत्यंत प्राचीन और समृद्ध है। यह शहर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। इस स्थान का उल्लेख ऋग्वेद में एक पवित्र स्थल के रूप में मिलता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने यहाँ सृष्टि के आरंभ में पहला यज्ञ किया था, जिसके कारण इसे 'प्रयाग' कहा गया, जिसका अर्थ है 'यज्ञों का स्थान'। 

मुगल सम्राट अकबर ने 1575 में इस शहर का नाम 'इलाहाबास' रखा, जिसका अर्थ है 'ईश्वर का निवास'। यह नाम बाद में 'इलाहाबाद' के रूप में प्रचलित हुआ। अकबर ने यहाँ एक भव्य किले का निर्माण भी करवाया, जो आज भी प्रयागराज का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है।

2018 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस शहर का नाम पुनः 'प्रयागराज' कर दिया, जिससे इसका प्राचीन और धार्मिक महत्व पुनर्स्थापित हुआ। प्रयागराज का नामकरण उसके धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। यह शहर सदियों से तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख स्थल रहा है और यहाँ हर बारह वर्ष में कुंभ मेला आयोजित होता है, जो दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। इसी पौराणिकता को फिर से स्थापित करने के लिए इसका नाम बदलकर प्रयागराज रखा गया। 

प्रयागराज का वैदिक से आधुनिक तक का इतिहास

यह क्षेत्र प्राचीन काल में वत्स देश के रूप में जाना जाता था। महाकाव्य रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान ऋषि भारद्वाज के आश्रम में कुछ समय बिताया था, जो प्रयागराज में स्थित था। इस क्षेत्र का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है, जब पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान यहाँ समय बिताया था।

मौर्य साम्राज्य के दौरान, सम्राट अशोक ने यहाँ एक स्तंभ स्थापित किया था, जो आज भी इलाहाबाद किले में मौजूद है। इसके बाद, गुप्त साम्राज्य के समय में भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण रहा।

मुगल काल में, सम्राट अकबर ने 1575 में इस शहर का नाम 'इलाहाबास' रखा और यहाँ एक भव्य किले का निर्माण करवाया। यह शहर मुगल साम्राज्य के दौरान एक प्रमुख प्रशासनिक केंद्र बन गया। अकबर के पोते, खुसरो, के मकबरे का निर्माण यहाँ किया गया था, जो मुगल वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

ब्रिटिश काल में, प्रयागराज एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और शैक्षणिक केंद्र बन गया। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, यह शहर क्रांतिकारी गतिविधियों का केंद्र रहा। स्वतंत्रता संग्राम के कई प्रमुख नेता, जैसे कि पंडित जवाहरलाल नेहरू, का इस शहर से गहरा संबंध रहा है।

प्रयागराज का इतिहास विभिन्न राजवंशों और शासकों के अधीन रहा है, जिन्होंने इसे धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टि से समृद्ध किया। यह शहर आज भी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

प्रयागराज की भौगोलिक स्थिती

प्रयागराज, उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसका भौगोलिक स्थान 25.45° उत्तरी अक्षांश और 81.84° पूर्वी देशांतर पर है। यह शहर गंगा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है।

प्रयागराज का कुल क्षेत्रफल 5,482 वर्ग किलोमीटर है।  इसके दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में बागेलखंड क्षेत्र है; पूर्व में उत्तर भारत की मध्य गंगा घाटी (पूर्वांचल) है; दक्षिण-पश्चिम में बुंदेलखंड क्षेत्र है; उत्तर और उत्तर-पूर्व में अवध क्षेत्र है; और पश्चिम में कौशाम्बी के साथ प्रयागराज दोआब बनाता है जिसे निछला दोआब क्षेत्र कहते हैं।

इसके कई पड़ोसी जिले हैं। ये जिले हैं जैसे- 

प्रतापगढ़ - उत्तर दिशा में स्थित है और प्रयागराज से सटा हुआ है।

कौशांबी - पश्चिम दिशा में स्थित है, जो पहले प्रयागराज जिले का हिस्सा था।

भदोही (संत रविदास नगर) - पूर्व दिशा में स्थित है।

रीवा (मध्य प्रदेश) - दक्षिण दिशा में स्थित है।

मिर्जापुर - दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है।

फतेहपुर - पश्चिम दिशा में स्थित है।

प्रयागराज का प्रशासनिक ढांचा

प्रयागराज का प्रशासनिक ढांचा उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों की तरह ही विस्तृत और संगठित है। इस जिले में निम्नलिखित प्रशासनिक इकाइयां शामिल हैं-

प्रयागराज के संसदीय क्षेत्र ( Parliamentary constituencies of  Prayagraj )- प्रयागराज जिले में दो प्रमुख संसदीय क्षेत्र हैं - इलाहाबाद (UP-52) और फूलपुर (UP-51)। 

प्रयागराज विधानसभा क्षेत्र ( Prayagraj Assembly Constituency )- जिले में कुल 12 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें फाफामऊ, सोरांव, फूलपुर, प्रतापपुर, हंडिया, मेजा, करछना, इलाहाबाद पश्चिम, इलाहाबाद उत्तर, इलाहाबाद दक्षिण, बारा, और कोरांव शामिल हैं। 

प्रयागराज की तहसीलें ( Tehsils of Prayagraj ) - प्रयागराज जिले में कुल 8 तहसीलें हैं, जो हैं - करछना, कोरांव, फूलपुर, बारा, मेजा, सदर, सोरांव, और हंडिया। 

प्रयागराज के विकास खंड ( Development Blocks of Prayagraj )- जिले में 23 विकास खंड हैं, जो विभिन्न तहसीलों के अंतर्गत आते हैं, जैसे चाका, कर्चना, कौंधियारा, कोरांव, बहरिया, फूलपुर, बहादुरपुर, सहसों, जसरा, शंकरगढ़, उरुवा, मेजा, माण्डा, कौरीहार, होलागढ़, मऊआईमा, सोरांव, श्रृंगवेरपुर धाम, भगवतपुर, प्रतापपुर, सैदाबाद, धनुपुर, और हंडिया। 

प्रयागराज की नगर पालिकाएं ( Municipal Corporations of Prayagraj )- प्रयागराज में कुल 4 नगर निगम हैं। इनमें प्रयागराज नगर निगम, झूसी, नैनी, और फाफामऊ शामिल हैं। 

प्रयागराज की नगर पंचायतें ( Town Panchayats of Prayagraj )- प्रयागराज में कुल 9 नगर पंचायतें हैं। इनमें सिरसा, लाल गोपालगंज, फूलपुर, शंकरगढ़, कोरांव, हंडिया, भारतगंज, मऊआइमा, और झूसी शामिल हैं। 

प्रयागराज के पुलिस थाने ( Police Stations of Prayagraj )- प्रयागराज जिले में कुल 42 पुलिस थाने हैं। इनमें शहर के 17, गंगापार क्षेत्र के 13, और यमुनापार क्षेत्र के 12 थाने शामिल हैं। 

प्रयागराज की ग्राम सभाएं ( Village councils of Prayagraj )- प्रयागराज जिले में कुल 2,548 ग्राम सभाएं हैं। 

प्रयागराज जनपद में धार्मिक जनसंख्या

प्रयागराज में धर्म के आधार पर जनसंख्या और उनकी स्थिति के बारे में जानकारी निम्नलिखित है:

हिंदू: प्रयागराज जिले में हिंदू धर्म के अनुयायियों की संख्या सबसे अधिक है, जो कुल जनसंख्या का 85.69% है।

मुस्लिम: मुस्लिम जनसंख्या जिले में दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक समूह है, जो कुल जनसंख्या का 13.38% है।

अन्य धर्म: जिले में अन्य धर्मों जैसे ईसाई, सिख, बौद्ध, और जैन की जनसंख्या बहुत कम है, जिनका कुल मिलाकर लगभग 1% से भी कम हिस्सा है।

प्रयागराज के विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक जनसंख्या का वितरण इस प्रकार है:

प्रयागराज शहर: यहाँ हिंदू जनसंख्या 76.03% है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 21.94% है।

फूलपुर: यहाँ मुस्लिम जनसंख्या 54.21% है, जो इसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाता है।

मऊ आइमा: इस क्षेत्र में मुस्लिम जनसंख्या 75.04% है।

सोरांव: यहाँ मुस्लिम जनसंख्या 57.36% है।

अन्य कस्बे: जैसे झूसी, शंकरगढ़, और कोरांव में हिंदू जनसंख्या प्रमुख है, जबकि कुछ क्षेत्रों में मुस्लिम जनसंख्या भी महत्वपूर्ण है।

प्रयागराज में धार्मिक विविधता के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में धार्मिक समूहों की सांद्रता देखी जा सकती है, जो सामाजिक और सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती है।

प्रयागराज जनपद में आर्थिक स्थिती

प्रयागराज जनपद का आर्थिक जीवन विविध और स्थिर है, जिसमें कई प्रमुख आर्थिक क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ प्रयागराज के आर्थिक जीवन के प्रमुख पहलुओं की जानकारी दी गई है:

कृषि- प्रयागराज एक कृषि प्रधान जिला है, जहाँ गेहूं और चावल मुख्य फसलें हैं। इसके अलावा, अरहर, उड़द, और चना जैसी दालें भी उगाई जाती हैं। सिंचाई के लिए मुख्यतः नहरें और ट्यूबवेल का उपयोग किया जाता है।

उद्योग- प्रयागराज में कई बड़े और छोटे उद्योग हैं। नैन और फूलपुर प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहाँ कई सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियाँ स्थित हैं। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) यहाँ एक बड़ी रिफाइनरी का निर्माण कर रही है।

सेवा क्षेत्र- सेवा क्षेत्र प्रयागराज के जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान देता है, जिसमें पर्यटन, शिक्षा, बैंकिंग, और रिटेल शामिल हैं। प्रयागराज में कई शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान हैं, जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।

पर्यटन- प्रयागराज एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, खासकर कुम्भ मेले के दौरान। संगम, अल्लाहाबाद किला, आनंद भवन, और अन्य ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

लघु और मध्यम उद्योग- जिले में 10,000 से अधिक अनरजिस्टर्ड लघु उद्योग हैं, जो आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनमें से कई उद्योग नैन और फूलपुर में स्थित हैं।

आर्थिक योगदान-

प्राथमिक क्षेत्र- कृषि और मत्स्य पालन, जो जिले के जीडीपी का लगभग 13% योगदान करते हैं।

माध्यमिक क्षेत्र- विनिर्माण और निर्माण, जो जीडीपी का 28% योगदान करते हैं।

तृतीयक क्षेत्र- सेवा क्षेत्र, जो जीडीपी का 59% योगदान करता है।

प्रयागराज का आर्थिक जीवन कृषि, उद्योग, सेवा, और पर्यटन के सम्मिश्रण से संचालित होता है, जो इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख आर्थिक केंद्रों में से एक बनाता है।

प्रयागराज जनपद में शिक्षा की स्थिती

प्रयागराज जनपद, जो ऐतिहासिक रूप से शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और उच्च साक्षरता दर के लिए जाना जाता है। यहाँ प्रयागराज के शैक्षणिक संस्थान, साक्षरता दर और शैक्षणिक विकास के बारे में जानकारी दी गई है,

इलाहाबाद विश्वविद्यालय- यह भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है और इसे "पूर्व का ऑक्सफोर्ड" भी कहा जाता है। यह उच्च शिक्षा के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान है और यहाँ से कई विद्वान और नेता शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं।

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT)- यह एक प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज है, जो तकनीकी शिक्षा में अग्रणी है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद (IIIT-A)- यह संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्रदान करता है।

उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय- यह ओपन यूनिवर्सिटी है, जो दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा प्रदान करती है।

अन्य संस्थान- प्रयागराज में कई अन्य शैक्षणिक संस्थान हैं, जैसे कि इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय, और विभिन्न कोचिंग संस्थान जो सरकारी नौकरियों की तैयारी करवाते हैं।

साक्षरता दर- प्रयागराज की साक्षरता दर 74.44% है, जिसमें पुरुष साक्षरता दर 85% और महिला साक्षरता दर 62.67% है। यह दर राज्य और राष्ट्रीय औसत के करीब है, जो शैक्षणिक विकास के प्रति जिले की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

नवाचार और अनुसंधान: प्रयागराज में शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की जा रही हैं। राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (SISE) जैसे संस्थान विज्ञान और गणित शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए कार्यरत हैं।

शिक्षक प्रशिक्षण: जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) नए शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और सेवारत शिक्षकों को नवीनतम शैक्षिक उद्देश्यों से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नई शिक्षा नीति: प्राथमिक विद्यालयों में संस्कृत शिक्षा को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है, जिससे विद्यार्थियों को प्रारंभिक स्तर पर ही संस्कृत की जानकारी मिल सके।

प्रयागराज का शैक्षणिक वातावरण और संस्थान इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख शैक्षणिक केंद्रों में से एक बनाते हैं, जहाँ न केवल स्थानीय बल्कि देश के अन्य भागों से भी छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।

प्रयागराज जनपद में बोली जानें वाली भाषाएं

प्रयागराज जनपद में बोली जाने वाली भाषाओं की विविधता काफी समृद्ध है। यहाँ की भाषाई स्थिति निम्नलिखित है:

हिंदी- हिंदी प्रयागराज में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। यह जिले की आधिकारिक भाषा भी है और अधिकांश जनसंख्या द्वारा दैनिक जीवन में प्रयोग की जाती है।

अवधी- अवधी भाषा भी प्रयागराज में बोली जाती है। यह हिंदी भाषा के परिवार का हिस्सा है और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय है।

उर्दू- उर्दू भी प्रयागराज में एक महत्वपूर्ण भाषा है, जिसे विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय द्वारा बोला जाता है। यह जिले की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

बघेली- यह भाषा प्रयागराज से सटे हुवे बघेलखंड क्षेत्र में बोली जाती है और हिंदी के साथ इसका उच्चारण और शब्दावली में समानता है।

इन भाषाओं और बोलियों की उपस्थिति प्रयागराज की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता को दर्शाती है, जो इसे उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से अलग बनाती है। यह विविधता शिक्षा, साहित्य, और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी परिलक्षित होती है।

प्रयागराज जनपद में यातायात

प्रयागराज जनपद में यातायात के साधनों की स्थिति और उपलब्धता निम्नलिखित है:

सड़क परिवहन

बसें: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) और प्रयागराज सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस द्वारा संचालित बसें शहर के विभिन्न भागों और आस-पास के क्षेत्रों में यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण साधन हैं। ये बसें शहर के अधिकांश हिस्सों में आसानी से उपलब्ध हैं और सबसे सस्ता परिवहन साधन हैं।

ऑटो रिक्शा और साइकिल रिक्शा: ऑटो रिक्शा और साइकिल रिक्शा प्रयागराज में लोकप्रिय परिवहन साधन हैं। ये शहर के सभी हिस्सों में आसानी से उपलब्ध हैं और छोटे दूरी के लिए उपयुक्त हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग: कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग प्रयागराज से गुजरते हैं, जैसे NH 19, NH 30, NH 35, और NH 330, जो शहर को अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।

रेल परिवहन

प्रयागराज जंक्शन: यह उत्तर भारत के प्रमुख रेलवे जंक्शनों में से एक है और उत्तर मध्य रेलवे का मुख्यालय है। शहर में नौ रेलवे स्टेशन हैं, जो प्रयागराज को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।

वायु परिवहन

प्रयागराज एयरपोर्ट: यह एयरपोर्ट बमरौली में स्थित है और घरेलू उड़ानों के लिए सेवा प्रदान करता है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, और अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है।

मेट्रो परियोजना

प्रयागराज मेट्रोलाइट: यह प्रस्तावित लाइट रेल प्रणाली है, जिसमें दो लाइनें शामिल होंगी। यह परियोजना शहर के परिवहन बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रयागराज का यातायात नेटवर्क शहर की बढ़ती जनसंख्या और आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देने के लिए लगातार विकसित हो रहा है। सड़क, रेल, और वायु परिवहन के साथ-साथ प्रस्तावित मेट्रो परियोजना शहर को उत्तर प्रदेश के प्रमुख केंद्रों में से एक बनाती है।

प्रयागराज जनपद में नदियों की स्थिती

गंगा नदी: यह नदी उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। प्रयागराज में गंगा नदी यमुना और सरस्वती के साथ संगम करती है।

यमुना नदी: यमुना नदी यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और अन्य राज्यों से होकर बहती है। प्रयागराज में यह गंगा नदी के साथ मिलती है।

सरस्वती नदी: यह एक अदृश्य और पौराणिक नदी है, जिसे माना जाता है कि यह गंगा और यमुना के साथ त्रिवेणी संगम में मिलती है। सरस्वती का भौतिक अस्तित्व नहीं है, लेकिन इसे धार्मिक और पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।

टोंस (तमसा) नदी: यह नदी मध्य प्रदेश के कैमूर रेंज से निकलती है और उत्तर प्रदेश में बहती हुई प्रयागराज जिले के सिरसा के पास गंगा नदी में मिलती है।

बेलन नदी: यह नदी सोनभद्र जिले के पश्चिमी हिस्से से निकलती है और दक्षिणी मिर्जापुर और प्रयागराज जिलों से होकर बहती है। यह टोंस नदी में मिलती है, और इसका संगम प्रयागराज जिले के टोंकी गाँव के पास होता है।

ससुर खदेरी नदी: यह यमुना नदी की एक सहायक नदी है, जो लगभग 40 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह फतेहपुर और कौशांबी जिलों के पास से गुजरती है और यमुना नदी में मिलती है।

मंसैता नदी: यह नदी प्रयागराज जिले के सोरांव क्षेत्र में बहती है। हालांकि, इसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

गोरमा नदी: यह नदी भी प्रयागराज जिले में बहती है, हालांकि इसके प्रवाह के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध नहीं है।

लापरी नदी: यह नदी कोरांव क्षेत्र में बहती है और इसे पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

तुडियारी नदी: यह भी प्रयागराज जिले की एक छोटी नदी है, जिसके बारे में विस्तृत जानकारी सीमित है।

नैना नदी: प्रयागराज में बहने वाली एक अन्य छोटी नदी है, जिसके बारे में विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है।

ज्वालामुखी नदी: यह नदी भी प्रयागराज जिले में बहती है, लेकिन इसका अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है और इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है।

इन नदियों का अधिकांश प्रवाह स्थानीय क्षेत्रों में है और ये गंगा या यमुना की सहायक नदियाँ हैं। कई नदियाँ समय के साथ सूख गई हैं या उनका प्रवाह कम हो गया है, और इन्हें पुनर्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

प्रयागराज जनपद में पाए जाने वाले पेड़

प्रयागराज में पाए जाने वाले पेड़ों की विविधता काफी समृद्ध है। यहां के प्रमुख पेड़ों में बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, पाखड़, पारिजात, महुआ, शीशम, आम, अमरूद, अशोक, जामुन, बेल, अर्जुन, गूलर, कटहल, इमली, सागौन, बांस, सफेदा, खजूर, पाम, गुलमोहर, कुसुम, अमलतास, कदंब, चंपा, बकैन, सेमल, करंज, कचनार, नींबू , बेर, ताड़, पलाश और आंवला शामिल हैं। इन पेड़ों में से कई को धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण 'हेरिटेज ट्री' के रूप में भी चिह्नित किया गया है, जैसे कि प्रयागराज के संगम क्षेत्र में स्थित अक्षयवट और पारिजात के पेड़।

प्रयागराज का भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियाँ इन पेड़ों के विकास के लिए अनुकूल हैं, और ये पेड़ न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखते हैं।

प्रयागराज जनपद में खेती की स्थिती

प्रयागराज जनपद में विविध प्रकार की कृषि की जाती है। यहाँ की मुख्य फसलों में गेहूं और धान प्रमुख हैं, जो लगभग 80% क्षेत्र में उगाए जाते हैं। इसके अलावा, अरहर, उड़द, चना जैसी दालें भी उगाई जाती हैं। तेलहन फसलों में सरसों और अलसी का उत्पादन होता है, जिसमें अलसी मुख्य रूप से जमुनापार क्षेत्र में उगाई जाती है।

फल और सब्जियों में, अमरूद, आलू, बैंगन, टमाटर, भिंडी, और मटर प्रमुख हैं। गंगा पार क्षेत्र में अमरूद की खेती विशेष रूप से की जाती है, जबकि तरबूज और खरबूजा नदी किनारे के क्षेत्रों में उगाए जाते हैं।

इसके अलावा, प्रयागराज में जैविक धान की खेती भी बढ़ रही है, जो पर्यावरणीय स्थिरता और मिट्टी की सेहत को बढ़ावा देने के लिए की जा रही है।

इस प्रकार, प्रयागराज जनपद की कृषि विविधता और समृद्धि को दर्शाती है, जिसमें खाद्यान्न, दालें, तेलहन, फल, और सब्जियों की खेती शामिल है।

प्रयागराज जनपद में पाए जाने वाले जानवर

प्रयागराज जनपद में पाए जाने वाले जानवरों और पशुओं में गाय, भैंस, बकरी, भेड़, कुत्ता, बिल्ली, ऊंट, घोड़ा, गधा, सूअर, मुर्गी, बतख, कबूतर, तोता, मोर, सियार, लोमड़ी, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ, बंदर, सांप, छिपकली, मेंढक, कछुआ, मछली, खरगोश, गिलहरी, चमगादड़ और चूहा शामिल हैं।

आमतौर पर, ग्रामीण क्षेत्रों में गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ जैसे पशु अधिक पाए जाते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में कुत्ते, बिल्ली, और कबूतर जैसी प्रजातियाँ अधिक देखी जाती हैं। वन्यजीव जैसे तेंदुआ, सियार, और नीलगाय जंगलों और ग्रामीण क्षेत्रों के पास पाए जा सकते हैं।

प्रयागराज जनपद में पाए जाने वाले पक्षी

प्रयागराज में कई प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें स्थायी और प्रवासी दोनों प्रकार के पक्षी शामिल हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पक्षियों की सूची दी गई है:

स्थानीय पक्षी: इनमें भारतीय मैना, कोयल, तोता, कबूतर, बुलबुल, और गौरैया शामिल हैं। ये पक्षी पूरे साल प्रयागराज में देखे जा सकते हैं।

उल्लू प्रजातियाँ: स्पॉटेड आउलेट, जंगल आउलेट, बार्न आउल, और इंडियन स्कॉप्स आउल जैसे उल्लू भी यहाँ पाए जाते हैं।

प्रवासी पक्षी: सर्दियों के मौसम में साइबेरियाई पक्षी प्रयागराज के संगम क्षेत्र में बड़ी संख्या में आते हैं। ये पक्षी हजारों की संख्या में गंगा और यमुना के संगम पर दिखाई देते हैं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनते हैं।

अन्य प्रजातियाँ: भारतीय रोबिन, ओरिएंटल मैगपाई रोबिन, एशियन ब्राउन फ्लाईकैचर, और ब्राह्मिनी स्टार्लिंग जैसे पक्षी भी प्रयागराज में देखे जा सकते हैं।

प्रयागराज का संगम क्षेत्र विशेष रूप से प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है, जो ठंड के मौसम में यहाँ आते हैं और मार्च तक रहते हैं। इन पक्षियों की उपस्थिति से क्षेत्र की जैव विविधता और प्राकृतिक सुंदरता में वृद्धि होती है।

प्रयागराज जनपद में पानी की गुणवत्ता और स्थिती

भूजल गुणवत्ता: प्रयागराज शहर के भूजल की गुणवत्ता का मूल्यांकन एंट्रॉपी वाटर क्वालिटी इंडेक्स (EWQI) और नए इंटीग्रेटेड वाटर क्वालिटी इंडेक्स (IWQI) का उपयोग करके किया गया है। अध्ययन से पता चला है कि भूजल सामान्यतः पीने के लिए उपयुक्त है, लेकिन इसमें आयरन की अधिकता पाई गई है। मानसून के पहले 17% क्षेत्र में पानी पीने योग्य नहीं था, जबकि मानसून के बाद यह बढ़कर 25% हो गया। लगभग 50% क्षेत्र में पानी की गुणवत्ता सीमांत थी, जो मानसून के बाद 33% तक घट गई।

नदी जल गुणवत्ता: गंगा और यमुना नदियों के पानी की गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया, जिसमें pH, विद्युत चालकता (EC), घुलित ऑक्सीजन (DO), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD), क्षारीयता, क्लोराइड, कुल घुलित ठोस (TDS), और कठोरता शामिल हैं। परिणामों से पता चला कि पानी सिंचाई के लिए उपयुक्त था, लेकिन DO का स्तर अनुमेय सीमा से थोड़ा कम था।

टीडीएस (TDS): प्रयागराज में पानी के कुल घुलित ठोस (TDS) के स्तर के बारे में विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन सामान्यतः पीने के पानी के लिए 300-500 mg/L की सीमा को स्वीकार्य माना जाता है।

सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार, प्रयागराज में पानी की गुणवत्ता और जल स्तर की नियमित निगरानी की आवश्यकता है ताकि पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सके।


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