सदाफल देव आश्रम झूँसी प्रयागराज

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Sadaphal Dev Ashram Jhunsi Prayagraj

आखिर कौन थे योग गुरु सदाफल?

बहुत समय पहले, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के एक छोटे से गाँव पकड़ी में, 25 अगस्त 1888 को एक बालक का जन्म हुआ। उनका नाम रखा गया 'सदाफल'। बचपन से ही वे साधारण बच्चों से अलग थे। जहाँ बाकी बच्चे खेल-कूद में मग्न रहते, वहीं सदाफल जी ध्यान और आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित रहते। जैसे-जैसे वे बड़े हुए, उनका झुकाव योग और साधना की ओर बढ़ता गया। 

Sadaphal Dev Ashram Prayagraj

किस नए योग की खोज की सदाफल जी ने ?

सदाफल जी ने अपने जीवन का उद्देश्य आत्मज्ञान और परमात्मा की खोज बना लिया। उन्होंने कई वर्षों तक कठिन तपस्या की और अंततः उन्हें एक प्राचीन योग पद्धति का ज्ञान प्राप्त हुआ, जिसे आज हम *विहंगम योग* के नाम से जानते हैं। यह योग पद्धति आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग दिखाती है। सदाफल जी ने इस ज्ञान को अपने शिष्यों के साथ साझा किया और 1924 में *विहंगम योग* की स्थापना की।

Sadaphal Dev Ashram Jhunsi Prayagraj

सदाफल देव आश्रम प्रयागराज में कहाँ पर है?

अब कहानी हमें ले चलती है प्रयागराज के झूँसी इलाके में, जहाँ गंगा नदी के किनारे एक सुंदर आश्रम स्थित है। यह वही स्थान है जहाँ महर्षि सदाफल देव जी ने अपनी साधना शुरू की थी। यह आश्रम आज भी *विहंगम योग संस्थान* का मुख्यालय है और यहाँ दूर-दूर से साधक आते हैं।

Sadaphal Dev Ashram Jhunsi Prayagraj

सदाफल देव आश्रम के भीतर क्या है?

आश्रम का वातावरण बहुत ही शांत और आध्यात्मिक है। यहाँ एक ध्यान गुफा है, जहाँ महर्षि सदाफल देव जी खुद ध्यान किया करते थे। इस गुफा पर एक बड़ा मंदिर बना हुआ है, जो चार मंजिला है। जब आप इस गुफा में जाते हैं, तो ऐसा लगता है मानो आप भी उस समय में पहुँच गए हों जब सदाफल जी यहाँ ध्यान करते थे।

सदाफल देव आश्रम झूँसी

सदाफल देव आश्रम में साधक क्या करते हैं?

आश्रम में समाधि स्थल भी है, जहाँ महर्षि सदाफल देव जी ने 1954 में योगिक विधि से शरीर त्याग किया था। यह स्थान साधकों के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। यहाँ आने वाले लोग ध्यान करते हैं, साधना करते हैं और आत्म-साक्षात्कार की कोशिश करते हैं।

सदाफल देव आश्रम झूँसी प्रयागराज

सदाफल देव आश्रम में क्या-क्या सुविधाएं हैं?

आश्रम की खासियत यह है कि यहाँ आधुनिक सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं, जैसे कि पुस्तकालय, अतिथि गृह, शुद्ध शाकाहारी भोजन आदि। साथ ही, आश्रम में एक गौशाला भी है जहाँ 50 से अधिक गायें रहती हैं। यहाँ से प्राप्त दूध को बहुत शुद्ध और पौष्टिक माना जाता है।

सदाफल देव आश्रम प्रयागराज

सदाफल देव आश्रम में क्या घाट भी है?

सबसे खास बात यह है कि आश्रम से गंगा नदी तक जाने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। साधक इन सीढ़ियों से नीचे जाकर गंगा स्नान कर सकते हैं और फिर वापस आकर ध्यान कर सकते हैं।

sadafaldev ashram prayagraj

सदाफल देव आश्रम का संदेश क्या है?

महर्षि सदाफल देव जी का जीवन हमें सिखाता है कि अगर हम सच्चे मन से आत्मज्ञान की खोज करें तो हमें सही मार्ग जरूर मिलता है। उनके द्वारा स्थापित यह आश्रम आज भी उसी आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है जो उन्होंने यहाँ छोड़ी थी।

इस तरह, गंगा नदी के किनारे बसे इस आश्रम में हर साल हजारों लोग आते हैं और महर्षि सदाफल देव जी द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की कोशिश करते हैं।

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