
प्रयागराज में प्राचीन सभ्यता भीटा की खोज कैसे हुई?
प्रसिद्ध पुराविद जनरल कनिंघम को उस समय भीटा के बारे में जानकारी मिली जब यमुना पर बन रहे रेलवे पुल के निर्माण के लिए ईटों की खोज शुरू की गई थी। ईटों की प्राचीन दीवाल मिलने से खुदाई को रोक दिया गया और इसकी गहरी जांच पड़ताल करने के लिए उन्हें बुलाया गया। 1872 में उन्होंने यहां पर मौजूद सबसे ऊंचे टीले की खुदाई करके ईटों की बनी हुई कई प्राचीन दीवालों को खोज निकाला। लेकिन तथ्यों के अभाव में बस इतना ही पता चला कि यहां पर कोई प्राचीन सभ्यता निवास करती थी लेकिन उसकी कालगणना के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाई।

प्रयागराज में प्राचीन सभ्यता भीटा कितने साल पुरानी है?
1910 में सर जान मार्शल ने यहाँ पर मौजूद एक अन्य टीले की खुदाई कराई। खुदाई में जो भी वस्तुयें पाई गई उनके गहन अध्ययन से पता चला कि यहां पर बौद्ध कालीन यानि 550 ईशा पूर्व कोई प्राचीन सभ्यता निवास करती थी।

प्रयागराज में प्राचीन सभ्यता भीटा तक कैसे पहुंचा जा सकता है?
आज यह जगह भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है। नए यमुना पुल से यहां की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है। नैनी पुल से रीवा रोड पर 15 किलोमीटर दूर घूरपुर बाजार से मुड़कर भीटा की तरफ जाने वाली सड़क पर लगभग 5 किलोमीटर बाद इस जगह तक पहुंचा जा सकता है।

