
प्रयागराज का संगम घाट, जिसे त्रिवेणी घाट भी कहते हैं, एक बहुत ही खास जगह है। यहाँ तीन नदियाँ मिलती हैं: गंगा, यमुना और सरस्वती। लोग मानते हैं कि यहाँ स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। इस जगह का जिक्र पुराने धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है।

त्रिवेणी घाट संगम का धार्मिक महत्व क्या है?
लोगों का मानना है कि त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। यहाँ हर 12 साल में महाकुंभ मेला लगता है, जिसमें लाखों लोग आते हैं। कहा जाता है कि इस जगह पर ब्रह्मा जी ने पहला यज्ञ किया था, इसलिए यह और भी खास हो जाता है।

त्रिवेणी घाट संगम पर क्या-क्या देखने लायक है?
संगम घाट पर कई पुराने मंदिर हैं। इनमें से अक्षय वट का वृक्ष और पातालपुरी मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि भगवान राम ने यहाँ एक अक्षय वट का पेड़ लगाया था। इसके अलावा अकबर का किला, मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर, दशाश्वमेध घाट और आलोपी देवी मंदिर ये सभी दो किलोमीटर के दायरे में ही मौजूद है।

त्रिवेणी घाट संगम आज कैसा है?
आजकल संगम घाट न सिर्फ धार्मिक कारणों से बल्कि घूमने के लिए भी मशहूर हो गया है। यहाँ सर्दियों में साइबेरिया से आए पक्षी देखने को मिलते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। आने वाले महाकुंभ मेले के लिए यहाँ खूब तैयारियाँ चल रही हैं।

त्रिवेणी घाट संगम क्यों घूमने लायक है?
प्रयागराज का संगम घाट एक ऐसी जगह है जहाँ आस्था और प्रकृति दोनों का मेल देखने को मिलता है। चाहे कोई पूजा करने आए या बस घूमने, यह जगह हर किसी को अपनी ओर खींचती है। यहाँ की सुंदरता और पवित्रता इसे एक अनोखा स्थल बनाती हैं।
