मोतीलाल मेडिकल कॉलेज जार्ज टाउन प्रयागराज

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MotiLal Nehru Medical College Prayagraj

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज- प्रारंभिक समय और पृष्ठभूमि

यह कहानी 19वीं सदी के उत्तरार्ध में शुरू होती है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। 7 नवंबर 1854 को, ब्रिटिश संसद के सदस्य लेस्ली हडसन ने भारत में मेडिकल कॉलेज खोलने के बारे में सवाल उठाया। इसके जवाब में, सर चार्ल्स वुड ने घोषणा की कि 1861 तक भारत के पांच शहरों - बंबई, कलकत्ता, मद्रास, लाहौर और इलाहाबाद में मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। हालांकि, यह वादा पूरा नहीं हो सका और इलाहाबाद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना नहीं हो पाई।

पंडित मोतीलाल नेहरू का योगदान

पंडित मोतीलाल नेहरू, जो एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और नेहरू परिवार के प्रमुख थे, ने इलाहाबाद में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 17 नवंबर 1904 को, पंडित मोतीलाल नेहरू ने पंडित मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में वायसराय लॉर्ड कर्जन से मुलाकात की और उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए वादे की याद दिलाई। उन्होंने वायसराय को बताया कि इलाहाबाद, जो उस समय संयुक्त प्रांत की राजधानी थी, में मेडिकल कॉलेज न होने का गहरा अफसोस है।

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मोतीलाल मेडिकल कॉलेज की स्थापना

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की स्थापना 5 मई 1961 को भारत के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई। यह उद्घाटन पंडित मोतीलाल नेहरू की 100वीं जयंती से एक दिन पहले हुआ था। प्रारंभ में, कॉलेज के लिए दक्षिण मलाका में स्थित ब्रिटिश जिला जेल के परिसर को अधिग्रहित किया गया था। यह वही जेल थी, जहां पंडित मोतीलाल नेहरू को 1930 में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कैद किया गया था। उनकी गंभीर बीमारी के बाद उन्हें रिहा किया गया और 6 फरवरी 1931 को उनकी मृत्यु हो गई।

मोतीलाल मेडिकल कॉलेज का विकास

1963 में, कॉलेज को पूर्व गवर्नर हाउस में स्थानांतरित किया गया, जो पहले संयुक्त प्रांत के गवर्नर का निवास था। जेल परिसर को स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल में परिवर्तित कर दिया गया, जो पंडित मोतीलाल नेहरू की पत्नी के नाम पर था। इस प्रकार, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने अपनी यात्रा शुरू की और उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने का लक्ष्य रखा।

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मोतीलाल मेडिकल कॉलेज की शैक्षणिक उपलब्धियाँ

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज ने अपने प्रारंभिक वर्षों में ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त है और यहां विभिन्न विशेषताओं में स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री/डिप्लोमा स्तर की चिकित्सा शिक्षा प्रदान की जाती है। हर साल, 200 छात्रों का एक बैच एमबीबीएस डिग्री कोर्स के पहले वर्ष में प्रवेश लेता है। इनमें से 180 छात्र राज्य परामर्श के माध्यम से और 20 छात्र अखिल भारतीय परामर्श के माध्यम से प्रवेश लेते हैं।

मोतीलाल मेडिकल कॉलेज से जुड़े प्रमुख अस्पताल

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के साथ कई प्रमुख अस्पताल संबद्ध हैं, जिनमें स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल, सरोजिनी नायडू चिल्ड्रन हॉस्पिटल और मनोहर दास आई हॉस्पिटल शामिल हैं। ये अस्पताल कॉलेज के छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुभव प्रदान करते हैं।

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मोतीलाल मेडिकल कॉलेज के भविष्य की योजनाएं

भारत सरकार ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (PMSSY) के तहत इस संस्थान को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की तर्ज पर उन्नत करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, उन्नयन की लागत का 80% हिस्सा केंद्र सरकार और 20% हिस्सा राज्य सरकार वहन करेगी। इस उन्नयन से कॉलेज की सुविधाओं और सेवाओं में और सुधार होगा।

निष्कर्ष

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज का इतिहास न केवल चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और नेहरू परिवार के साथ भी गहराई से जुड़ा हुआ है। यह कॉलेज न केवल एक शैक्षणिक संस्थान है, बल्कि भारतीय समाज के विकास और परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस कहानी के माध्यम से, हम न केवल इस कॉलेज के विकास को समझ सकते हैं, बल्कि भारतीय समाज के विकास और परिवर्तन को भी महसूस कर सकते हैं।

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