
प्रयागराज का सरस्वती घाट एक ऐसा जगह है जो यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है। यह घाट अकबर के किले के पास है और इसका नाम हिंदू देवी सरस्वती के नाम पर रखा गया है। सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी माना जाता है, इसलिए यह घाट भी बहुत खास है।
घाट का इतिहास और महत्व
सरस्वती घाट का इतिहास बहुत पुराना है। यह वह जगह है जहां गंगा, यमुना और एक अदृश्य नदी सरस्वती का संगम होता है। इस संगम को बहुत पवित्र माना जाता है। लोग मानते हैं कि यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष मिलता है। खासकर कुंभ मेला और अर्ध कुंभ मेला जैसे बड़े त्योहारों के समय यहां लाखों लोग आते हैं।

सरस्वती घाट पर क्या-क्या कर सकते हैं?
सरस्वती घाट पर कई चीजें करने को मिलती हैं:
नौका विहार- यहां से नाव लेकर संगम तक घूमने जा सकते हैं। नदी की सैर करना बहुत मजेदार होता है।
सरस्वती पार्क में आराम- घाट के पास एक सुंदर पार्क बना हुआ है, जहां आप बैठकर आराम कर सकते हैं और चारों तरफ की खूबसूरती देख सकते हैं।

सरस्वती घाट के आसपास की जगहें-
सरस्वती घाट के पास कुछ और भी देखने लायक जगहें हैं:
अकबर का किला- यह किला यमुना नदी के किनारे खड़ा है और इसकी बनावट बहुत सुंदर है।
त्रिवेणी संगम- यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती हैं। यह जगह धार्मिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
मनकामेश्वर मंदिर- घाट के पास में ही है एक बहुत पुराना मंदिर- मनकामेश्वर। कहा जाता है कि जब श्रीराम वनवास के लिए निकले थे, तो वह माता सीता और लक्ष्मण के साथ प्रयागराज आए थे। यहां उन्होंने यमुना के किनारे शिवलिंग की स्थापना की थी ताकि माता सीता की मनोकामना पूरी हो सके। इसी वजह से इस मंदिर का नाम "मनकामेश्वर" पड़ा, जिसका अर्थ है "मन की कामना पूरी करने वाला"।
मिंटो पार्क- घाट के पास में ही है मालवीय पार्क जिसे मिंटो पार्क भी कहते हैं। यहां अक्सर लोग घूमने टहलने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं क्योंकि पार्क के अंदर खाने-पीने का भी सामान मिल जाता है।

सरस्वती घाट सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि एक खूबसूरत पर्यटन स्थल भी है। यहां का शांत माहौल और आसपास की हरियाली लोगों को अपनी ओर खींचती है। चाहे आप पूजा करने आएं या बस घूमने, सरस्वती घाट पर हर कोई कुछ नया अनुभव करता है।