हरिश चंद्र (वैज्ञानिक & गणितज्ञ)

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harish chandra mehrotra


हरिश-चंद्र मेहरोत्रा एक भारतीय-अमेरिकी गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने प्रतिनिधित्व सिद्धांत में महत्वपूर्ण कार्य किया, विशेष रूप से अर्धसरल ली समूहों पर हार्मोनिक विश्लेषण के क्षेत्र में। उनका जन्म 11 अक्टूबर 1923 को कानपुर में हुआ था और उनका निधन 16 अक्टूबर 1983 को हुआ था।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

हरिश-चंद्र का जन्म कानपुर में हुआ और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बी.एन.एस.डी. कॉलेज, कानपुर से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर की डिग्री 1940 में प्राप्त की। अपनी उच्च शिक्षा के लिए वे भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर गए, जहां उन्होंने होमी जे. भाभा के अधीन अध्ययन किया।

1945 में, हरिश-चंद्र कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय चले गए और पॉल डिराक के अधीन शोध छात्र के रूप में कार्य किया। कैम्ब्रिज में रहते हुए, उन्होंने वोल्फगैंग पाउली के व्याख्यानों में भाग लिया और एक बार उनके काम में त्रुटि की ओर इशारा किया, जिसके बाद वे पाउली के साथ आजीवन मित्र बन गए। इस दौरान उनकी गणित में रुचि बढ़ी और उन्होंने 1947 में कैम्ब्रिज से पीएचडी प्राप्त की।


सम्मान और पुरस्कार

हरिश-चंद्र ने अपने करियर में कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किए। वे नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के सदस्य और रॉयल सोसाइटी के फेलो थे। उन्हें 1954 में अमेरिकन मैथमैटिकल सोसाइटी का कोल प्राइज मिला। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने उन्हें 1974 में श्रीनिवास रामानुजन मेडल से सम्मानित किया। 1981 में, उन्हें येल विश्वविद्यालय से मानद उपाधि मिली। भारत सरकार ने उनके सम्मान में हरिश-चंद्र रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की, जो सैद्धांतिक भौतिकी और गणित को समर्पित है। उन्हें 1977 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।


 प्रयागराज से संबंध

हरिश-चंद्र का प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) से गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। यह विश्वविद्यालय उनके शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा, जहाँ उन्होंने भौतिकी की गहन पढ़ाई की और अपने करियर की नींव रखी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उनके शैक्षिक विकास और वैज्ञानिक योगदान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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