
दौलत सिंह कोठारी एक प्रतिष्ठित भारतीय वैज्ञानिक और शिक्षाविद् थे, जिनका जन्म 6 जुलाई 1906 को उदयपुर, राजस्थान में हुआ था। उनके पिता एक जैन प्रधानाध्यापक थे, जिनकी मृत्यु 1918 की प्लेग महामारी में हो गई थी। इसके बाद उनकी परवरिश उनकी मां ने की।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
दौलत सिंह कोठारी की प्रारंभिक शिक्षा उदयपुर और इंदौर में हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1928 में भौतिकी में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की, जहाँ वे मेघनाद साहा के मार्गदर्शन में पढ़े। 1930 में, वे कैवेंडिश प्रयोगशाला, कैम्ब्रिज गए और वहाँ अर्नेस्ट रदरफोर्ड, पी. कपित्ज़ा और आर. एच. फाउलर के साथ काम किया। उन्होंने "The quantum statistics of dense matter" विषय पर शोध कर 1933 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त की।
शिक्षा और वैज्ञानिक योगदान
भारत लौटने के बाद, कोठारी ने 1934 से 1961 तक दिल्ली विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर कार्य किया। वे 1948 से 1961 तक रक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक सलाहकार रहे और 1961 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के अध्यक्ष बने। उन्होंने भारत के शिक्षा प्रणाली के आधुनिकीकरण और मानकीकरण के लिए प्रसिद्ध कोठारी आयोग (1964-66) का नेतृत्व किया।
कोठारी को भारत में रक्षा विज्ञान का वास्तुकार माना जाता है। उन्होंने कई DRDO प्रयोगशालाओं की स्थापना की और UGC तथा NCERT की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उपलब्धियाँ और सम्मान
दौलत सिंह कोठारी ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस के स्वर्ण जयंती सत्र (1963) की अध्यक्षता की और 1973 में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष चुने गए। उन्हें सांख्यिकीय ऊष्मागतिकी और श्वेत बौने तारों के सिद्धांत पर अपने शोध के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई।
उन्हें 1962 में पद्म भूषण और 1973 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उन्हें अपने "गौरवशाली पूर्व छात्र" के रूप में सूचीबद्ध किया है।
प्रयागराज से संबंध
दौलत सिंह कोठारी का प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) से गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने यहीं से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर करने के दौरान उन्हें मेघनाद साहा जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक का मार्गदर्शन मिला, जिसने उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को मजबूत किया।