
गोविंद स्वरूप एक प्रतिष्ठित भारतीय रेडियो खगोलशास्त्री थे, जिनका जन्म 23 मार्च 1929 को उत्तर प्रदेश के ठाकुरद्वारा में हुआ था। वे रेडियो खगोल विज्ञान में अग्रणी थे और उन्होंने कई प्रमुख रेडियो दूरबीनों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें ऊटी रेडियो टेलीस्कोप और पुणे के पास स्थित जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) शामिल हैं।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
गोविंद स्वरूप ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में प्राप्त की और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से भौतिकी में बीएससी (1948) और एमएससी (1950) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में के. एस. कृष्णन के साथ काम किया। 1953 में, वे ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित CSIRO के रेडियो फिजिक्स डिवीजन में गए, जहाँ उन्होंने जोसेफ पॉसी और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सूर्य का अध्ययन करने के लिए रेडियो एरे बनाने का काम सीखा।
कैरियर
गोविंद स्वरूप ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में भी महत्वपूर्ण शोध कार्य किया। स्टैनफोर्ड से पीएचडी प्राप्त करने के बाद, वे 1963 में भारत लौटे और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में शामिल हो गए। उन्होंने भारत में रेडियो खगोल विज्ञान को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया और NCRA (राष्ट्रीय रेडियो खगोल विज्ञान केंद्र) की स्थापना की।
प्रमुख योगदान
गोविंद स्वरूप ने ऊटी रेडियो टेलीस्कोप (ORT) का डिज़ाइन और निर्माण किया, जो 1970 में चालू हुआ। यह अपनी अनूठी डिजाइन के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग कई महत्वपूर्ण खगोलीय अवलोकनों के लिए किया गया है। इसके अलावा, उन्होंने जायंट मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) का भी निर्माण किया, जो दुनिया का सबसे बड़ा मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप है।
पुरस्कार और सम्मान
गोविंद स्वरूप को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें 1973 में पद्म श्री, शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, जवाहरलाल नेहरू फैलोशिप, और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान शामिल हैं। वे रॉयल सोसाइटी, लंदन और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहित कई वैज्ञानिक संस्थाओं के सदस्य थे।
प्रयागराज से संबंध
गोविंद स्वरूप का प्रयागराज से गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। यह विश्वविद्यालय उनके शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जहाँ उन्होंने भौतिकी की गहन पढ़ाई की और अपने करियर की नींव रखी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उनके शैक्षिक विकास और वैज्ञानिक योगदान को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।