
डॉ. दीपक धर एक प्रसिद्ध भारतीय सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं, जो सांख्यिकीय भौतिकी और स्टोकेस्टिक प्रक्रियाओं पर अपने अनुसंधान के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 30 अक्टूबर 1951 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
दीपक धर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश में प्राप्त की और 1970 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने 1972 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर से भौतिकी में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका चले गए और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से पीएचडी की, जहाँ उन्होंने जॉन मैथ्यूज के मार्गदर्शन में शोध किया। 1978 में पीएचडी पूरी करने के बाद, वे भारत लौट आए और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) में शोध फेलो के रूप में काम शुरू किया।
करियर और योगदान
डॉ. धर ने सांख्यिकीय यांत्रिकी और यादृच्छिक प्रक्रियाओं पर गहन अध्ययन किया है। उन्होंने फ्रैक्टल्स के अध्ययन में *स्पेक्ट्रल डाइमेंशन* की अवधारणा पेश की और रियल-स्पेस रेनॉर्मलाइजेशन ग्रुप तकनीकों का उपयोग करके उनके महत्वपूर्ण घटनाओं का निर्धारण करने की विधि विकसित की। उन्होंने रामकृष्ण रामास्वामी के साथ मिलकर एबेलियन सैंडपाइल मॉडल को हल किया और एक नया मॉडल विकसित किया जिसे *धर-रामास्वामी मॉडल* के नाम से जाना जाता है।
पुरस्कार और सम्मान
दीपक धर को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं, जिनमें 1991 का शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार शामिल है। वे 2022 में बोल्ट्ज़मैन मेडल पाने वाले पहले भारतीय बने, जो सांख्यिकीय भौतिकी के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। उन्हें 2023 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया है।
प्रयागराज से संबंध
प्रयागराज (इलाहाबाद) से दीपक धर का गहरा संबंध है क्योंकि उन्होंने यहाँ के विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने उनके शैक्षणिक जीवन की नींव रखी और उन्हें एक सफल वैज्ञानिक बनने में मदद की। उनके इस संबंध ने उनकी वैज्ञानिक यात्रा को दिशा दी और उन्हें उच्च स्तर पर पहुँचाया।