भगवती चरण वर्मा

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Bhagwati Charan Verma

भगवती चरण वर्मा एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक थे, जिनका जन्म 30 अगस्त 1903 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के शफीपुर गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के आधुनिक काल के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे और उनकी रचनाएँ आज भी पढ़ी जाती हैं।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

भगवती चरण वर्मा का जन्म एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके पिता देवीचरण वर्मा पेशे से वकील थे। बचपन में ही प्लेग महामारी के कारण उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा शफीपुर में हुई और बाद में उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद (अब प्रयागराज) गए। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की।


करियर

भगवती चरण वर्मा ने अपने करियर की शुरुआत वकालत से की, लेकिन जल्द ही उनका रुझान साहित्य की ओर हो गया। 1934 में प्रकाशित उनका उपन्यास *चित्रलेखा* बहुत प्रसिद्ध हुआ और इस पर दो बार फिल्में भी बनीं। इसके अलावा उन्होंने *भूले-बिसरे चित्र*, *प्रायश्चित*, और *युवराज चूंडा* जैसे कई उपन्यास लिखे। वे ऑल इंडिया रेडियो, लखनऊ में हिंदी सलाहकार भी रहे और 1978 में राज्यसभा के लिए नामांकित हुए।


 पुरस्कार और सम्मान

उन्हें 1961 में उनके महाकाव्यात्मक उपन्यास *भूले-बिसरे चित्र* के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला और 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उनका साहित्यिक योगदान उन्हें हिंदी साहित्य के महान लेखकों की श्रेणी में खड़ा करता है।


 प्रयागराज से संबंध

प्रयागराज (इलाहाबाद) से भगवती चरण वर्मा का गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने यहाँ के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। यह शहर उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा, जहाँ उन्होंने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत की और इसे दिशा दी। प्रयागराज ने उनके लेखन को आकार दिया, जिससे वे एक सफल लेखक बने। उनका निधन 5 अक्टूबर 1981 को हुआ।


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