
चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक और विद्वान थे, जिनका जन्म 7 जुलाई 1883 को जयपुर में हुआ था। उनके पिता हिमाचल प्रदेश के गुलर गाँव से थे, इसलिए उनके नाम के अंत में 'गुलेरी' जुड़ा। वे हिंदी, संस्कृत, प्राकृत और पाली भाषाओं के विद्वान थे और उन्होंने साहित्य की कई विधाओं में काम किया।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
चंद्रधर शर्मा का जन्म जयपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा वहीं से प्राप्त की और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की। उनकी पढ़ाई ने उनके साहित्यिक करियर की नींव रखी और उन्हें एक सफल लेखक बनने में मदद की।
करियर
गुलेरी जी ने अपने करियर की शुरुआत लेखन से की। वे 'उसने कहा था' कहानी के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जो 1915 में प्रकाशित हुई थी और हिंदी साहित्य में इसे पहली लघु कहानी माना जाता है। इसके अलावा, उन्होंने कई निबंध और कविताएँ भी लिखीं।
वे अजमेर के मेयो कॉलेज में संस्कृत विभाग के प्रमुख रहे और 1922 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास और धर्म पर मनीन्द्र चंद्र नंदी चेयर पर नियुक्त हुए।
प्रमुख रचनाएँ
कहानी- 'उसने कहा था', 'सुखमय जीवन', 'बुद्धु का काँटा'
निबंध- 'शैशुनाक की मूर्तियाँ', 'आँख', 'कछुआ धर्म'
कविताएँ- 'भारत की जय', 'एशिया की विजय दशमी'
उनकी कहानी 'उसने कहा था' पर 1960 में एक फिल्म भी बनी, जिसमें सुनील दत्त और नंदा ने अभिनय किया।
प्रयागराज से संबंध
प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) से चंद्रधर शर्मा गुलेरी का गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने यहाँ के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की थी। यह शहर उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा, जहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की और अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत की।
निधन
गुलेरी जी का निधन 11 सितंबर 1922 को हुआ। उन्होंने अपने छोटे जीवनकाल में ही हिंदी साहित्य को अमूल्य योगदान दिया, जिसे आज भी याद किया जाता है। उनकी रचनाएँ हिंदी साहित्य के विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।