इलाहाबाद हाई कोर्ट धूमनगंज प्रयागराज

0
Allahabad High Court

इलाहाबाद हाई कोर्ट का इतिहास

इलाहाबाद हाई कोर्ट की कहानी बहुत ही दिलचस्प है और यह हमें भारत में न्याय की व्यवस्था के विकास के बारे में बताती है। यह कहानी 19वीं सदी के बीच से शुरू होती है, जब अंग्रेजों ने भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए न्यायिक व्यवस्था को सुधारने की कोशिशें शुरू कीं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की शुरुआत कैसे हुई?

1834 से 1861 के बीच, भारत में दो तरह की अदालतें थीं: एक थी किंग्स कोर्ट्स, जो सीधे ब्रिटिश सरकार के अधीन थीं, और दूसरी कंपनी कोर्ट्स, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन काम करती थीं। दोनों अदालतों का अलग-अलग कामकाज था, जिससे काफी उलझनें पैदा होती थीं। इसलिए, इन दोनों को मिलाकर एक नई और बेहतर व्यवस्था बनाने की जरूरत महसूस हुई।

high court allahabad

इलाहाबाद हाई कोर्ट का गठन

1861 में, ब्रिटिश संसद ने एक कानून पास किया जिसे इंडियन हाई कोर्ट्स एक्ट कहा जाता है। इस कानून ने पुरानी अदालतों को खत्म कर दिया और उनकी जगह तीन नए हाई कोर्ट्स बनाए गए। इनमें से एक था नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस का हाई कोर्ट, जिसे 1866 में आगरा में स्थापित किया गया। इसके पहले मुख्य न्यायाधीश थे सर वॉल्टर मॉर्गन।

इलाहाबाद में स्थानांतरण

1869 में, इस हाई कोर्ट को आगरा से इलाहाबाद लाया गया। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि इलाहाबाद उस समय एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बन चुका था। इलाहाबाद हाई कोर्ट को खास मामलों में सुनवाई का अधिकार मिला, जैसे कि वकीलों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और विवाह संबंधी मामले।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का कामकाज

हालांकि इलाहाबाद हाई कोर्ट को सामान्य नागरिक मामलों में सीधे सुनवाई का अधिकार नहीं था, लेकिन इसे कुछ विशेष मामलों में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया था। यह अदालत यूरोपीय ब्रिटिश निवासियों पर आपराधिक मामलों में भी सुनवाई कर सकती थी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट का आजादी के बाद बदलाव

1948 में, जब भारत आजाद हुआ, तब ओध चीफ कोर्ट को इलाहाबाद हाई कोर्ट में मिला दिया गया। इससे इलाहाबाद हाई कोर्ट का दायरा बढ़ गया और यह पूरे उत्तर प्रदेश पर अधिकार रखने लगा। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट का संविधान के तहत भूमिका

भारत के संविधान ने उच्च न्यायालयों को बहुत सारी शक्तियां दीं ताकि वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकें और लोगों को न्याय दिला सकें। आज इलाहाबाद हाई कोर्ट उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा न्यायालय है और यहां कई महत्वपूर्ण फैसले लिए जाते हैं।

prayagraj high court

इलाहाबाद हाई कोर्ट का समाज पर प्रभाव

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने लंबे इतिहास में कई बड़े फैसले दिए हैं जो समाज को दिशा देने वाले साबित हुए हैं। इसने न केवल कानूनी मामलों में बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस तरह, इलाहाबाद हाई कोर्ट की कहानी हमें बताती है कि कैसे यह अदालत समय के साथ विकसित हुई और कैसे इसने भारतीय न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद की। यह सिर्फ एक इमारत नहीं है, बल्कि न्याय और सत्य की खोज का प्रतीक है। 

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !