मोती लाल इंजीनियरिंग कॉलेज तेलियरगंज प्रयागराज

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MLNR Allahabad

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) का इतिहास

यह कहानी 1960 के दशक की शुरुआत में शुरू होती है, जब भारत स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अपने औद्योगिक और तकनीकी विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा था। देश के पहले प्रधानमंत्री, पंडित जवाहरलाल नेहरू, ने उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के महत्व को समझा और इसे प्राथमिकता दी। इसी दृष्टिकोण के तहत, 1961 में मोतीलाल नेहरू क्षेत्रीय अभियांत्रिकी कॉलेज (MNREC) की स्थापना की गई। यह कॉलेज उनके पिता, स्वतंत्रता सेनानी और प्रमुख वकील, मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया।

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) की शुरुवात

मोतीलाल नेहरू क्षेत्रीय अभियांत्रिकी कॉलेज की नींव का पत्थर स्वयं पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखा। प्रारंभ में, कॉलेज में केवल एक ही शाखा थी - विद्युत अभियांत्रिकी। यह कॉलेज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में स्थित था और इसका उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी शिक्षा प्रदान करना था।

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) का विकास

1960 के दशक के अंत और 1970 के दशक की शुरुआत में, कॉलेज ने तेजी से विकास किया। 1976-77 में, यह देश का पहला कॉलेज बना जिसने कंप्यूटर विज्ञान और अभियांत्रिकी में स्नातक कार्यक्रम शुरू किया। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसने कॉलेज को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा

2002 में, मोतीलाल नेहरू क्षेत्रीय अभियांत्रिकी कॉलेज को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) का दर्जा दिया गया और इसका नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT) कर दिया गया। इस परिवर्तन ने संस्थान को और भी अधिक प्रतिष्ठा और स्वायत्तता प्रदान की, जिससे यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में और भी अधिक योगदान दे सका।

मोती लाल इंजीनियरिंग कॉलेज में विभाग

MNNIT विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रम प्रदान करता है, जिनमें चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम, दो वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम, और डॉक्टरेट कार्यक्रम शामिल हैं। संस्थान में विभिन्न विभाग हैं, जैसे:

इंजीनियरिंग विभाग: बायोटेक्नोलॉजी, एप्लाइड मैकेनिक्स, केमिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, उत्पादन और औद्योगिक इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, उत्पाद डिजाइन और विकास।

विज्ञान विभाग: रसायन विज्ञान, गणित, भौतिकी।

मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग: स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज।

मोती लाल इंजीनियरिंग कॉलेज की प्रमुख घटनाएँ

1976-77: कंप्यूटर विज्ञान और अभियांत्रिकी में स्नातक कार्यक्रम की शुरुआत।

2002: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा प्राप्त हुआ।

2009: मास्टर ऑफ सोशल वर्क (MSW) कार्यक्रम की शुरुआत।

मोती लाल इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रमुख व्यक्तित्व

MNNIT ने कई प्रमुख व्यक्तित्वों को जन्म दिया है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें शामिल हैं:

संजय चतुर्वेदी: IFoS अधिकारी, जिन्होंने हरियाणा और AIIMS में कई भ्रष्टाचार मामलों का पर्दाफाश किया और 2015 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त किया।

दीप जोशी: सामाजिक कार्यकर्ता और NGO एक्टिविस्ट, जिन्होंने 2009 में मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त किया।

अतुल सोबती: भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (जनवरी 2016 से जून 2019)।

ओंकार सिंह: वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलपति और मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालय ऑफ टेक्नोलॉजी, गोरखपुर के संस्थापक कुलपति।

भृगु नाथ सिंह: IITRAM के महानिदेशक, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर के पूर्व HAL चेयर प्रोफेसर।

सपन सक्सेना: भारतीय लेखक, जो अपने उपन्यास "Finders, Keepers", "UNNS-The Captivation" और "The Tenth Riddle" के लिए जाने जाते हैं।

मोती लाल इंजीनियरिंग कॉलेज के भविष्य की योजनाएं

आज, MNNIT प्रयागराज का एक प्रमुख राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान है, जो उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है। संस्थान ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में उच्च स्थान प्राप्त किया है और यह लगातार अपने शैक्षणिक और शोध कार्यक्रमों में सुधार कर रहा है। भविष्य में, संस्थान का उद्देश्य और भी अधिक उन्नत तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में योगदान देना है।

 निष्कर्ष

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का इतिहास न केवल तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय समाज के विकास और परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। इस कहानी के माध्यम से, हम न केवल इस संस्थान के विकास को समझ सकते हैं, बल्कि भारतीय समाज के विकास और परिवर्तन को भी महसूस कर सकते हैं।

Motilal Nehru Indian Institute of Technology Allahabad

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