हरिवंश राय बच्चन एक प्रसिद्ध भारतीय कवि और लेखक थे, जो हिंदी साहित्य के नयी कविता आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर माने जाते हैं। उनका जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में एक कायस्थ परिवार में हुआ था[1][5]। उनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव और माता का नाम सरस्वती देवी था। बचपन में उन्हें 'बच्चन' के नाम से पुकारा जाता था, जिसका अर्थ 'बच्चा' या 'संतान' होता है। यही नाम बाद में उनकी पहचान बन गया।
बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डब्ल्यू.बी. यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच.डी. प्राप्त की। उन्होंने 1941 से 1957 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाई और इसके बाद दो साल कैम्ब्रिज में बिताए।
हरिवंश राय बच्चन की सबसे प्रसिद्ध कृति *मधुशाला* है, जो 1935 में प्रकाशित हुई थी और जिसने उन्हें व्यापक ख्याति दिलाई। उनकी अन्य प्रमुख रचनाओं में *मधुबाला*, *मधुकलश*, *निशा निमंत्रण*, और *एकांत संगीत* शामिल हैं। उनकी आत्मकथा चार खंडों में प्रकाशित हुई है: *क्या भूलूं क्या याद करूं*, *नीड़ का निर्माण फिर-फिर*, *बसेरे से दूर*, और *दशद्वार से सोपान तक*।
हरिवंश राय बच्चन को 1976 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। उनका निधन 18 जनवरी 2003 को मुंबई में हुआ। बच्चन का साहित्यिक योगदान और उनकी कविताएं आज भी हिंदी साहित्य प्रेमियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हैं।