प्रयागराज जिले की विधानसभाएं

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Map of the Assembly Constituency of Prayagraj

संगम नगरी प्रयागराज, जो पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है। यहां की राजनीतिक कहानी भी उतनी ही रोचक है जितना इसका इतिहास। प्रयागराज में कुल 12 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो अपने-अपने रंग में रंगे हुए हैं। फाफामऊ से लेकर बारा तक, हर विधानसभा की अपनी एक अलग पहचान है। 


फाफामऊ विधान सभा

फाफामऊ विधानसभा सीट का नाम पहले नवाबगंज हुआ करता था। ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी। 2008 के परिसीमन में नवाबगंज सीट का अस्तित्व समाप्त हो गया और फाफामऊ विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। फाफामऊ में श्रृंगवेरपुर धाम भी है। यह धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।

पिछले 10 वर्षों में, बीजेपी ने इस विधानसभा पर प्रभाव बनाए रखा है, विशेष रूप से 2017 से 2022 तक। 2017 में विक्रमजीत मौर्य ने यहाँ बीजेपी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद 2022 में गुरुप्रसाद मौर्य ने भी जीत दर्ज की।

सोरांव विधान सभा

सोरांव विधानसभा सीट प्रयागराज जिले की एक सुरक्षित सीट है जो अपनी राजनीतिक गहराई के लिए जानी जाती है। यह सीट स्वतंत्रता के बाद से विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए एक महत्वपूर्ण गढ़ रही है। यहां पर कांग्रेस, जनता पार्टी, और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख पार्टी रही हैं। 452 गांवों और एक नगर पंचायत वाला यह क्षेत्र 3,72,562 की आबादी का घर है। यहां समाजवादी पार्टी का प्रभाव रहा है, जिसने हाल के चुनावों में सफलता हासिल की है।

पिछले 10 वर्षों में सोरांव विधानसभा में समाजवादी पार्टी का मजबूत प्रभाव रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की गीता पासी ने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा और अपना दल के उम्मीदवार को हराया।

प्रतापपुर विधान सभा

प्रतापपुर में 116 गांव और 74 ग्राम पंचायतें हैं। यहां की जनसंख्या 3,82,749 है। समाजवादी पार्टी का यहां लंबे समय से प्रभुत्व रहा है, जो इस क्षेत्र की राजनीतिक विरासत को दर्शाता है।  पिछले दस वर्षों में SP ने यहां से चुनाव जीते हैं और भाजपा का अभी तक जीतने का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

फूलपुर विधान सभा

यहाँ एक समय पंडित जवाहरलाल नेहरू का प्रभाव था, आज भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र है। 3,87,693 की आबादी वाले इस क्षेत्र में 105 गांव, 6 ग्राम पंचायतें और 2 नगर पंचायतें हैं। यहां की साक्षरता दर 76.99% है, जो शिक्षा के प्रति लोगों के जुनून को दर्शाता है।

पिछले 10 वर्षों में फूलपुर विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और समाजवादी पार्टी (SP) का मुख्य प्रभाव रहा है। 2024 के आम चुनावों में भाजपा के प्रवीण पटेल ने SP के उम्मीदवार को चुनौती दी, खासकर जब से मुज्तबा सिद्दिकी के सुर से Sapa ने उन पर दांव लगाया है।

प्रयागराज उत्तर विधान सभा

प्रयागराज उत्तर विधानसभा का इतिहास 1887 में शुरू हुआ जब नॉर्थ वेस्टर्न प्राविंसेज और अवध विधानमंडल की पहली बैठक हुई थी। इसके पन्नों में कई महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं, जैसे कि 2003 में और 2019 में हुई कैबिनेट की बैठकें। विधानसभा का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय मुद्दों का समाधान करना और राज्य के विकास को बढ़ावा देना है।

पिछले 10 वर्षों में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रयागराज में 2017 विधानसभा चुनावों में 13 सीटों में से 8 जीतीं। इस समय, समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी सक्रिय थीं, लेकिन बीजेपी सबसे प्रमुख पार्टी रही है। 2022 के चुनावों में भी बीजेपी का प्रमुख प्रभाव देखा गया, जहां उन्होंने अधिकतर सीटें जीतकर अपनी स्थिति को मजबूत किया।

प्रयागराज पश्चिम विधान सभा

प्रयागराज पश्चिम विधानसभा का इतिहास उत्तर प्रदेश के राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है। विधानमंडल की पहली बैठक 1887 में हुई थी। इस विधानसभा का गठन किया गया था और इसके बाद कई महत्वपूर्ण राज्यों के गठित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस विधानसभा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्तमान में, यह विधानसभा क्षेत्र कला, संस्कृति और धार्मिक महत्व का केंद्र है और हर बार चुनावों में विभिन्न पार्टियों का गढ़ बनता है।

पिछले 10 वर्षों में, प्रयागराज पश्चिम विधानसभा पर मुख्यतः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का प्रभाव रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सिद्धार्थनाथ सिंह ने सपा की ऋचा सिंह को हराकर जीत हासिल की। पिछले चुनावों में भी भाजपा ने यहां अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा यहां की प्रमुख पार्टी बनी हुई है।

प्रयागराज दक्षिण विधान सभा

प्रयागराज दक्षिण विधानसभा का नाम बदल कर इलाहाबाद दक्षिण रखा गया है और यह उत्तर प्रदेश विधानसभा की संख्या 263 पर आधारित है। वर्तमान में यह भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के नंद गोपाल गुप्ता नंदी द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाता है, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव 2022 में जीत हासिल की थी। यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभाजन के बाद, इसे भा.ज.पा. का गढ़ माना जाता है। 2008 में यह विधानसभा क्षेत्र का पुनर्निर्धारण किया गया था और 2017 में और फिर 2022 में भा.ज.पा. ने यहाँ जीत हासिल की।

पिछले 10 वर्षों में इस विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) का प्रभाव रहा है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भा.ज.पा. ने यहाँ से जीत हासिल की है। 2017 चुनाव में, नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने समाजवादी पार्टी के परवेज़ अहमद को हराकर यह सीट जीती। 2022 में भी, उन्होंने रईस चंद्र शुक्ला को हराया।

हंडिया विधान सभा

हंडिया विधानसभा क्षेत्र, प्रयागराज का एक महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र है। यहां पर समाजवादी पार्टी (सपा) का पिछले कई चुनावों में प्रभाव रहा है। सपा के हाकिम लाल बिंद ने 2022 के चुनाव में यहां से जीत हासिल की थी। 2017 में भी सपा की समान स्थिति रही थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस विधानसभा क्षेत्र में सपा का दबदबा है।

करछना विधान सभा

करछना विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1974 में हुई थी और यह इलाहाबाद जिले में स्थित है। यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है, जिसमें राजा रेवती रमण सिंह, जो यहां से 8 बार विधायक रहे, का खासा प्रभाव रहा है। पिछले कार्यकालों में सपा के उज्जवल रमण सिंह विधायक रहे हैं। 2022 में भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर पहले बार जीत हासिल की थी, जब पीयूष रंजन निषाद ने यहाँ जीत दर्ज की।

किसान-मजदूर जनसंख्या और पिछड़ी जातियों के मतदाताओं के प्रभाव के साथ, करछना विधानसभा में पिछले एक दशक तक समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। हालाँकि, 2022 में भारतीय जनता पार्टी की जीत ने इसकी राजनीतिक धारा को बदल दिया है।

मेजा विधान सभा

मेजा विधानसभा क्षेत्र का गठन 2012 में हुआ और यह पहले करछना विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत था। इस क्षेत्र में कई बार राजनीतिक संघर्ष देखने को मिला है, जहां 1977 से लेकर 2017 तक विभिन्न दलों ने सत्ता में आने का प्रयास किया। यहां ब्राह्मणों की जनसंख्या और उनके मतदान की मुख्य भूमिका रही है।

पिछले 10 वर्षों में सपा और भाजपा के बीच टक्कर रही है, जिसमें 2017 में भाजपा और 2022 में सपा की जीत हुई।

कोरांव विधान सभा

कोरांव विधानसभा सीट का गठन 2007 में किया गया था। यह सीट प्रयागराज जिले में है और आदिवासी बहुल क्षेत्र मानी जाती है। यह क्षेत्र पहले करछना का हिस्सा था, जिसे 2012 में अलग किया गया। इसमें मुख्य रूप से खेतीहर लोग रहते हैं।

पिछले 10 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी का यहाँ प्रमुख प्रभाव बना हुआ है। 2017 में बीजेपी के राजमणि कोल चुनाव जीते थे और 2022 में भी उन्होंने जीत दर्ज की।

बारा विधान सभा

बारा विधानसभा का निर्वाचन क्षेत्र प्रयागराज जिले में है। यह विधानसभा क्षेत्र 1957 में स्थापित हुआ था। तब से इसे समाजवादी पार्टी (सपा) का गढ़ माना जाता है। 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी के जवाहर लाल ने विजय पहली बार हासिल की थी। इसके बाद 1980 में कांग्रेस की अध्यक्षता में स्थानीय नेता रामदास ने जीत दर्ज की। 2017 के विधानसभा चुनाव में, Sapa के हाकिम लाल ने फिर से चुनाव जीते थे।

पिछले 10 वर्षों में, बारा विधानसभा क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का प्रभाव रहा है। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर हाकिम लाल बिंद और 2017 में भी सपा के प्रतिनिधि ने चुनाव जीता था। 2017 में सपा के हाकिम लाल बिंद ने भाजपा के टिकट पर वाचस्पति के खिलाफ 12524 वोटों से जीत हासिल की।

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