
प्रयागराज का चंद्रशेखर आजाद पार्क कंपनी गार्डेन
प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क की कहानी एक अदम्य साहस और बलिदान की है। पहले इसे अल्फ्रेड पार्क कहा जाता था, लेकिन 1931 में इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद की शहादत देखी, जिसके बाद इसका नाम बदलकर चंद्रशेखर आजाद पार्क कर दिया गया।

चंद्रशेखर आजाद पार्क की कहानी
1870 में, अंग्रेजों ने प्रिंस अल्फ्रेड की यात्रा की याद में इस पार्क का निर्माण किया। लेकिन 27 फरवरी 1931 को, यह जगह इतिहास में दर्ज हो गई जब चंद्रशेखर आजाद ने यहां अंग्रेज पुलिस से मुठभेड़ के दौरान अपनी जान दे दी। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लड़ाई में कभी पकड़े न जाने की कसम खाई थी और इसी वचन को निभाते हुए उन्होंने खुद को गोली मार ली।

आजाद की पिस्तौल
जिस पिस्टल से चंद्रशेखर आजाद ने खुद को शहीद किया था, वह अब इलाहाबाद संग्रहालय में संरक्षित है। यह पिस्टल आज भी लोगों को उनकी वीरता और साहस की याद दिलाती है।

चंद्रशेखर आजाद पार्क का विकास
आज यह पार्क 133 एकड़ में फैला हुआ है और शहर का सबसे बड़ा पार्क है। यहां चंद्रशेखर आजाद की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित है, जो उनके बलिदान को श्रद्धांजलि देती है।
चंद्रशेखर आजाद पार्क कब खुला रहता है?
यह पार्क सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। यहां पहुंचना आसान है, क्योंकि यह प्रयागराज के केंद्र में स्थित है। आप सार्वजनिक परिवहन या अपनी गाड़ी से यहां आ सकते हैं।

यह कहानी न केवल आजादी के संघर्ष की गाथा है, बल्कि यह हमें याद दिलाती है कि कैसे चंद्रशेखर आजाद जैसे वीरों ने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। यह पार्क आज भी उन भावनाओं को जीवित रखता है और नई पीढ़ी को प्रेरित करता है।