शम्सुर रहमान फारूकी

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Shamsur Rahman Faruqi

शम्सुर रहमान फारूकी एक प्रसिद्ध भारतीय उर्दू कवि, लेखक, आलोचक और सिद्धांतकार थे। उनका जन्म 30 सितंबर 1935 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ था। वे उर्दू साहित्य में आधुनिकता लाने के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने साहित्यिक आलोचना के नए मॉडल बनाए, जो पश्चिमी सिद्धांतों को उर्दू साहित्य के साथ जोड़ते थे।


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

शम्सुर रहमान फारूकी का जन्म प्रतापगढ़ में हुआ और उनका पालन-पोषण आजमगढ़ और गोरखपुर में हुआ। उन्होंने वेल्सली हाई स्कूल, आजमगढ़ और गवर्नमेंट जुबली हाई स्कूल, गोरखपुर से पढ़ाई की। 1951 में उन्होंने मियां जॉर्ज इस्लामिया इंटर कॉलेज, गोरखपुर से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने महाराणा प्रताप कॉलेज, गोरखपुर से बीए किया और फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एमए की डिग्री 1955 में प्राप्त की।


करियर

फारूकी ने 1960 में अपने लेखन करियर की शुरुआत की। 1966 में उन्होंने उर्दू साहित्यिक पत्रिका *शबखून* की स्थापना की और चार दशकों तक इसके संपादक और प्रकाशक रहे। वे भारतीय डाक सेवा में भी कार्यरत रहे और 1994 में पोस्टमास्टर जनरल के रूप में सेवानिवृत्त हुए।

वे उर्दू साहित्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे और उनके कार्यों ने उर्दू साहित्य को आधुनिक दृष्टिकोण दिया। उनके कुछ प्रमुख कार्यों में *तफहीम-ए-ग़ालिब* और *शेर-ए-शोर अंगेज* शामिल हैं। उन्होंने उर्दू साहित्य में आधुनिकता लाने का प्रयास किया और भाषा को संस्कृति और समुदायों को जोड़ने वाली ताकत के रूप में देखा।

Shamsur Rahman Faruqi

दास्तानगोई

फारूकी ने दास्तानगोई, एक पारंपरिक उर्दू मौखिक कहानी कहने की कला का पुनरुद्धार किया। उन्होंने अपने भतीजे महमूद फारूक़ी के साथ मिलकर इस कला को आधुनिक रूप दिया और इसे भारत, पाकिस्तान और अमेरिका में प्रस्तुत किया।


पुरस्कार और सम्मान

उन्हें 1986 में उनकी पुस्तक *तनकीदी अफकार* के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1996 में उन्हें *शेर-ए-शोर अंगेज* के लिए सरस्वती सम्मान से नवाजा गया। उन्हें 2009 में पद्म श्री, भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान भी प्राप्त हुआ।


प्रयागराज से संबंध

प्रयागराज (इलाहाबाद) से शम्सुर रहमान फारूकी का गहरा संबंध था क्योंकि उन्होंने यहाँ के इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी। प्रयागराज ने उनके शैक्षिक जीवन को आकार दिया और उनके साहित्यिक करियर की नींव रखी। उनका निधन 25 दिसंबर 2020 को प्रयागराज में हुआ, जहाँ उन्हें अशोक नगर कब्रिस्तान में दफनाया गया।


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