
बड़ी कोठी, दारागंज, प्रयागराज: इतिहास और महत्व
बड़ी कोठी का निर्माण 1820 में हरियाणा के जींद से आए गल्ला व्यापारी पेरूमल अग्रवाल ने कराया था। इसे जैसलमेर के कारीगरों ने बनवाया था, जिनकी नक्काशी और पत्थरों की महीन कटाई के लिए ख्याति थी। इस कोठी की खूबसूरती और अनोखी वास्तुकला की चर्चा दूर-दूर तक थी, और कहा जाता है कि इस तरह की दूसरी कोठी न बने, इसलिए मुख्य कारीगर ने अपने दाएं हाथ की पांचों अंगुलियां काट दी थीं।
बड़ी कोठी का ऐतिहासिक महत्व भी बहुत है। यह स्थान स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजनीति का केंद्र रहा है। राय अमरनाथ अग्रवाल, जो पेरूमल अग्रवाल के पोते थे, ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने 1857 की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विद्रोहियों को आत्मसमर्पण के लिए तैयार किया, जिसके लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा 'राय' की उपाधि दी गई थी।

प्रसिद्ध हस्तियों का आगमन
बड़ी कोठी में कई प्रसिद्ध हस्तियों का आगमन हुआ करता था। जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, पंडित मदन मोहन मालवीय, लाल बहादुर शास्त्री, राज कपूर, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा और आचार्य राम चंद्र शुक्ल जैसे लोग यहां आते थे। राय अमरनाथ की कार से जवाहरलाल नेहरू चुनाव अभियान चलाते थे और उनके चुनावी खर्चों का वहन भी करते थे।
वर्तमान स्थिति
आज बड़ी कोठी एक हेरिटेज होटल में तब्दील हो चुकी है। इसके जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो चुका है और यह अब आईटीसी वेलकम हेरिटेज स्थल की सूची में शामिल हो गई है। कोठी में कुल 25 कमरे हैं और इसका क्षेत्रफल 1250 वर्ग गज है। इस तीन मंजिला इमारत में रेस्टोरेंट, ध्यान कक्ष और छत पर एक स्वीमिंग पूल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं।
कैसे पहुंचें?
बड़ी कोठी दारागंज में स्थित है, जो प्रयागराज में गंगा नदी के किनारे त्रिवेणी संगम के पास है। यह स्थान प्रयागराज रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है और स्थानीय परिवहन सुविधाओं के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह क्षेत्र अपने धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है, जिसमें वेणी माधव मंदिर प्रमुख है।
बड़ी कोठी न केवल अपने भव्य इतिहास के लिए बल्कि अपनी अद्वितीय वास्तुकला और सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी विशेष स्थान रखती है। यह स्थल अब पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गया है जो इतिहास और आधुनिकता का संगम प्रस्तुत करता है।