अलोपी देवी मंदिर: रहस्य और आस्था का अद्भुत संगम
प्रयागराज के अलोपीबाग में स्थित अलोपी देवी मंदिर एक ऐसा धार्मिक स्थल है,
जो अपनी अनोखी पूजा पद्धति और रहस्यमयी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। यह
मंदिर देवी सती के दाहिने हाथ के पंजे के गिरने की जगह पर बना है और इसे
अलोपशंकरी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं इस मंदिर की
रोचक कहानी, जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों का भी समावेश है।
आलोपी देवी मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
कहानी का आरंभ तब होता है जब देवी सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित
होकर आत्मदाह कर लेती हैं। भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगते
हैं, जिससे ब्रह्मांड में अराजकता फैल जाती है। इस स्थिति को नियंत्रित करने
के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में काट
दिया। ये टुकड़े विभिन्न स्थानों पर गिरे और उन स्थानों पर शक्तिपीठों की
स्थापना हुई। अलोपी देवी मंदिर उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ देवी
सती का दाहिना पंजा गिरा था।
आलोपी देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
इस मंदिर का निर्माण 1772 ईस्वी में महान मराठा योद्धा श्रीनाथ महादजी शिंदे
द्वारा किया गया था। जब वे प्रयागराज में अल्प प्रवास पर थे, तब महारानी
बैजाबाई सिंधिया ने उनसे इस मंदिर के निर्माण की प्रार्थना की। महादजी शिंदे ने
न केवल इस मंदिर का निर्माण करवाया, बल्कि संगम घाटों और आसपास के क्षेत्र के
विकास में भी योगदान दिया। इसके बाद, 1800 के दशक में महारानी बैजाबाई सिंधिया
ने प्रयागराज में संगम घाटों और मंदिरों के नवीनीकरण के लिए कार्य किए।
आलोपी देवी मंदिर की अनोखी विशेषता
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ कोई मूर्ति नहीं है। भक्त यहाँ एक
लकड़ी के झूले या डोली की पूजा करते हैं, जिसे देवी का प्रतीक माना जाता है।
गर्भगृह में एक कुंड भी है, जिसके जल को पवित्र माना जाता है। भक्त इस जल का
आचमन करते हैं और इसे अपनी मनोकामनाओं के लिए चढ़ाते हैं। यह अनोखी पूजा
पद्धति इस मंदिर को अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
आलोपी देवी मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी घटनाएँ
मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमयी घटनाएँ भी सुनने को मिलती हैं। कुछ भक्तों का
कहना है कि जब वे यहाँ परिक्रमा करते हैं तो उन्हें अद्भुत शांति का अनुभव
होता है। नवरात्रि जैसे खास अवसरों पर यहाँ विशेष आयोजन होते हैं, जिसमें
हजारों भक्त शामिल होते हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि यहाँ रक्षा सूत्र
बांधने से मां अपनी कृपा बरसाती हैं और भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
आलोपी देवी मंदिर का आधुनिक समय में महत्व
आज भी यह मंदिर प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण बना
हुआ है। यहाँ हर दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है, खासकर नवरात्रि और
शिवरात्रि जैसे त्योहारों पर। प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया है
ताकि भक्तों को कोई परेशानी न हो।
इस प्रकार, अलोपी देवी मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके
साथ जुड़ी कहानियाँ इसे और भी रोचक बनाती हैं। यह स्थान आज भी लोगों को
सकारात्मक ऊर्जा और आस्था प्रदान करता है, जो इसे एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल
बनाता है।