भगवान ब्रह्मा हिंदू धर्म में सृष्टि के रचयिता के रूप में जाने जाते हैं। वे त्रिदेवों में से एक हैं, जिनमें अन्य दो विष्णु (पालनकर्ता) और शिव (विनाशक) हैं। ब्रह्मा को चार मुखों और चार भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है, जो चारों वेदों और दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी सवारी हंस है और वे कमल पर विराजमान होते हैं। ब्रह्मा को ज्ञान और सृजन का प्रतीक माना जाता है, और वे वेदों के ज्ञाता हैं.
प्रयागराज से संबंध
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, का ब्रह्मा से गहरा पौराणिक संबंध है। हिंदू मान्यता के अनुसार, ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद यहाँ प्रथम यज्ञ किया था। इसी कारण इस स्थान का नाम "प्रयाग" पड़ा, जो "प्र" और "याग" (यज्ञ) से मिलकर बना है. यह स्थान गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है। यह स्थल हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और यहाँ हर बारह वर्ष में कुंभ मेला आयोजित होता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है.
ब्रह्मा द्वारा किए गए इस यज्ञ के कारण प्रयागराज को तीर्थों का राजा भी कहा जाता है, और यह स्थान यज्ञ और तपस्या के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। दशाश्वमेध घाट, जो गंगा के किनारे स्थित है, को ब्रह्मा जी का शाश्वत स्थान बताया गया है, जहाँ उन्होंने दशाश्वमेध यज्ञ किया था. इस प्रकार, प्रयागराज का ब्रह्मा के साथ एक विशेष धार्मिक और पौराणिक महत्व है।