नैनी पुल- नया यमुना पुल या नैनी पुल प्रयागराज शहर में यमुना नदी के ऊपर बना एक केबल आधारित पुल है। जिसकी कुल लंबाई 1510 मीटर और चौड़ाई 26 मीटर है। प्रयागराज से नैनी जाने के लिए अंग्रेजों ने यमुना नदी के ऊपर गौ घाट और दूसरी ओर हनुमान घाट को जोड़ कर स्टील की मदद से एक पुल बनाया था। समय के साथ जैसे-जैसे वाहनों का इस्तेमाल बड़ा वैसे-वैसे इस पुल पर जाम की समस्या बढ़ने लगी। इसी जाम से छुटकारा पाने के लिए यमुना नदी के ऊपर एक और पुल की आवश्यकता थी। रेल मंत्रालय द्वारा एक नए पुल की योजना बनाई गई। यमुना के तेज बहाव में एक मजबूत पुल कैसे बनाया जाए इसकी सलाह ली गई डेनिश परामर्श कंपनी COWI A/S से।
पुल का मॉडल बन जाने के बाद इसे बनाने का काम सौंपा गया दक्षिण कोरिया की हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन को। जिसमें हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी का भी सहयोग रहा। सन 2000 में पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। पुल का वह हिस्सा जो केबल से लटका हुआ है उसके खंभों के बीच की दूरी है 260 मीटर। इसी हिस्से को बनाने में सबसे अधिक समय लगा था।
2004 में पुल का निर्माण समाप्त होने के बाद उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। आज यह पुल प्रयागराज आने वाले पर्यटकों को अपनी विशेष बनावट के कारण आकर्षित करता है। 6 लेनों वाला यह पुल लगभग 1000 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ। इस पुल के बन जाने से प्रयागराज से नैनी , रीवा, चित्रकूट की ओर आना-जाना बहुत ही सुगम हो गया।
पुल का मॉडल बन जाने के बाद इसे बनाने का काम सौंपा गया दक्षिण कोरिया की हुंडई इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन को। जिसमें हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी का भी सहयोग रहा। सन 2000 में पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ। पुल का वह हिस्सा जो केबल से लटका हुआ है उसके खंभों के बीच की दूरी है 260 मीटर। इसी हिस्से को बनाने में सबसे अधिक समय लगा था।
2004 में पुल का निर्माण समाप्त होने के बाद उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। आज यह पुल प्रयागराज आने वाले पर्यटकों को अपनी विशेष बनावट के कारण आकर्षित करता है। 6 लेनों वाला यह पुल लगभग 1000 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ। इस पुल के बन जाने से प्रयागराज से नैनी , रीवा, चित्रकूट की ओर आना-जाना बहुत ही सुगम हो गया।









