
गढ़वा का किला प्रयागराज में कहाँ पर है?
प्रयागराज के नैनी पुल से चित्रकूट मार्ग पर 41 किलोमीटर दूर है बेनीपुर चौराहा। जो शंकरगढ़ ब्लॉक में आता है। इस चौराहे से एक सड़क यमुना की ओर प्रतापपुर बाजार तक जाती है। इसी रोड पर 4 किलोमीटर बाद स्थित है गढ़वा नाम का एक गांव। यहीं पर मौजूद है गढ़वा का किला।

गढ़वा के किले का इतिहास क्या है?
भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र के आसपास की गई खुदाई में भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के साथ ही कई हिंदू देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियां और विभिन्न प्रकार के पत्थरों के बने हुए प्रतीक पाए गए थे जो गुप्त काल ( 319 से 467 ईश्वी ) के आके गए हैं। यहां से गुप्तकाल के कुछ राजाओं जैसे चंद्रगुप्त, कुमारगुप्त एवं स्कंदगुप्त के समय में प्रचलित सात अभिलेखों के भी अवशेष मिले हैं। कई पत्थरों पर संस्कृत में लिखे हुए श्लोक भी अंकित थे। ईश्वर के कई अवतारों जैसे मत्स्य, कच्छप, नरसिंह, वराह आदि को पूजने के लिए उन्हें पत्थरों पर तराशा गया था।

गढ़वा के किले के भीतर क्या है?
खुदाई में भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं के साथ ही कई हिंदू देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियां को गढ़वा किले के भीतर संग्रहालय बनाकर सुरक्षित रख दिया गया है। किले के भीतर पत्थरों से बने हुए मुख्य मंदिर में शिवलिंग की स्थापना की गई थी जो अब मौजूद नहीं है। इस मंदिर के ठीक सामने दो जलाशय बनाए गए थे। मंदिर और जलाशय को जंगली जानवरों और शत्रु से सुरक्षित रखने के लिए इसके चारों तरफ पांच दीवालों का एक घेरा बनाया गया था जिसे परकोटा कहा जाता है।

गढ़वा का किला किसने बनवाया था?
यहां पर लगे हुए एक सूचना पट पर दी गई जानकारी के अनुसार इस परकोटे का निर्माण बारा के बघेल राजा विक्रमादित्य द्वारा 1750 के आसपास करवाया गया था।







