
प्रयागराज के नगर निगम इलाके में वार्ड नंबर-36 मधवापुर के मोहल्ला तुलाराम बाग में महात्मा गांधी रोड पर हर्षवर्धन चौराहे के पास एक खास जगह है – रूप गौड़ीय मठ। इसकी कहानी बड़ी दिलचस्प और रोमांचक है। ये मठ न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इसके पीछे की कहानी भी उतनी ही खास है जितना यहां का माहौल।

रूप गौड़ीय मठ की शुरुआत कैसे हुई?
बात 20वीं सदी की शुरुआत की है, जब श्रील भक्ति सिद्धांत सरस्वती ठाकुर ने गौड़ीय मिशन की नींव रखी। उनका सपना था कि श्री चैतन्य महाप्रभु का संदेश पूरी दुनिया में फैले। इसी मिशन के तहत कई मठ बनाए गए, और प्रयागराज का रूप गौड़ीय मठ उन्हीं में से एक है। ये मठ तुलाराम बाग में स्थित है और इसका मकसद था कि भक्तों को एक ऐसा स्थान मिले जहां वे भगवान की भक्ति में लीन हो सकें।

रूप गौड़ीय मठ में राधा-कृष्ण की दिव्य मूर्तियां
इस मठ की सबसे बड़ी खासियत यहां की राधा-कृष्ण की मूर्तियां हैं। इनका श्रृंगार देखने लायक होता है। खासकर गर्मियों में जब इन्हें सफेद चंदन से सजाया जाता है, तो वो नज़ारा सच में मन मोह लेता है। भक्त बड़ी संख्या में आते हैं, भगवान के दर्शन करते हैं और उनके चंदन लेप को माथे पर लगाकर आशीर्वाद लेते हैं।

रूप गौड़ीय मठ में विश्व वैष्णव सम्मेलन
यहां हर साल कई बड़े धार्मिक आयोजन होते हैं, लेकिन सबसे बड़ा कार्यक्रम होता है विश्व वैष्णव सम्मेलन। हाल ही में मठ ने श्रील प्रभुपाद जी के 150वें जन्मोत्सव पर इस सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें देश-विदेश से कई संत और भक्त शामिल हुए थे। इस सम्मेलन का उद्देश्य वैष्णव धर्म को दुनिया भर में फैलाना और सभी भक्तों को एक मंच पर लाना था।

रूप गौड़ीय मठ के संघर्ष और समर्पण की कहानी
इस मठ की कहानी सिर्फ भक्ति और पूजा तक सीमित नहीं है। इसके पीछे संघर्ष और मेहनत भी छिपी हुई है। शुरुआत में गौड़ीय मिशन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा – संपत्ति के विवाद से लेकर प्रशासनिक दिक्कतों तक। लेकिन इन सबके बावजूद, मठ ने कभी हार नहीं मानी और आज ये वैष्णव धर्म का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है।

रूप गौड़ीय मठ की यात्रा अभी भी जारी है
रूप गौड़ीय मठ की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। ये एक ऐसी यात्रा है जो आज भी जारी है। हर दिन यहां भक्त आते हैं, भगवान के दर्शन करते हैं और शांति महसूस करते हैं। हर साल नए-नए आयोजन होते हैं, और इस मठ का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

इस तरह, रूप गौड़ीय मठ न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भक्ति, संघर्ष और समर्पण की एक जीवंत मिसाल भी है।