
गंगा नदी के किनारे स्थित प्रयागराज का शिवकुटी इलाका इतिहास और संस्कृति से भरपूर है। यह स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। शिवकुटी का नामकरण यहां स्थित शिव मंदिरों के कारण हुआ है, जो भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण हैं। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है शिव कचहरी, जहां अनेकों शिवलिंग स्थापित हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि बाहर से यह किसी अदालत जैसा दिखता है, लेकिन अंदर से शिवनाम की गूंज सुनाई देती है।
शिवकुटी में श्री नारायण प्रभु का आश्रम भी स्थित है, जिसे 1948 में स्थापित किया गया था। इसके अलावा लक्ष्मी नारायण मंदिर और दुर्गा मंदिर भी यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। कोटेश्वर महादेव का मंदिर भी इस क्षेत्र में है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है।
शिवकुटी का इतिहास भी रोचक है। 1857 के विद्रोह के बाद नेपाल के राणा परिवार को यहां बसाया गया था। अंग्रेजों ने उन्हें गंगा के किनारे 150-200 एकड़ जमीन दी थी, जो अब शिवकुटी के रूप में जानी जाती है।
यहां पर धर्म संघ संस्कृत विद्यालय जिसे वेद विद्यालय कहा जाता है में संस्कृत और वेदों की शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा गंगा नदी के किनारे रामबाग और शिवकुटी का प्रसिद्ध मंदिर भी घूमने लायक है।
शिवकुटी में धार्मिक स्थलों के अलावा अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यहां स्कूल, अस्पताल, पुलिस थाना जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं। प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन इस इलाके का निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
शिवकुटी तक पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। आप प्रयागराज शहर से ऑटो रिक्शा या टैक्सी लेकर आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। इसके अलावा सार्वजनिक परिवहन भी उपलब्ध है, जिससे यहां तक पहुंचना सरल हो जाता है।
शिवकुटी का इलाका न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी समृद्ध है, जो इसे एक अनोखा और आकर्षक स्थल बनाता है।






