लेप्रोसी हॉस्पिटल नैनी प्रयागराज

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नैनी कुष्ठ रोग अस्पताल, प्रयागराज


नैनी कुष्ठ रोग अस्पताल, जिसे द लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट इंडिया (TLM) द्वारा संचालित किया जाता है, प्रयागराज के नैनी क्षेत्र में स्थित है। यह अस्पताल भारत में कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के लिए सबसे बड़े अस्पतालों में से एक है और 1876 में स्थापित किया गया था। इसकी स्थापना अमेरिकी प्रोटेस्टेंट मिशनरी डॉ. सैम हिगिनबॉथम ने की थी, जो इलाहाबाद कृषि संस्थान के संस्थापक भी थे। प्रारंभ में, यह कृषि संस्थान और ब्लाइंड होम का हिस्सा था और कुष्ठ रोगियों को आश्रय प्रदान करता था जिन्हें उनके परिवारों और समुदायों द्वारा छोड़ दिया गया था[1]।

सेवाएँ और सुविधाएँ



चिकित्सा सेवाएँ: आउट-पेशेंट और इन-पेशेंट सेवाएँ, ऑपरेटिंग थिएटर, प्रयोगशाला सेवाएँ, ईसीजी सेवा, एक्स-रे सेवा, परामर्श, फिजियोथेरेपी, फार्मेसी, MCR प्रोटेक्टिव फुटवियर और कृत्रिम अंग।

विशेषज्ञता: कुष्ठ रोग का उपचार और प्रबंधन, त्वचाविज्ञान, नेत्र विज्ञान, सामान्य चिकित्सा, सामान्य सर्जरी, पुनर्निर्माण सर्जरी, व्यावसायिक चिकित्सा, परामर्श चिकित्सा, और दंत चिकित्सा।

रोकथाम और पुनर्वास: कुष्ठ रोग के कारण होने वाली दुर्बलताओं और विकलांगताओं की रोकथाम के लिए शिक्षा, फिजियोथेरेपी, और प्री-फैब्रिकेटेड स्प्लिंट्स की व्यवस्था[1]।

सामुदायिक आउटरीच


अस्पताल में एक सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रम भी है जो स्कूलों और आदिवासी गांवों में कार्य करता है। यह कार्यक्रम सरकारी और अन्य एनजीओ के साथ नेटवर्किंग के माध्यम से किया जाता है। यह अस्पताल कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों और आदिवासियों को सरकारी सामाजिक कल्याण योजनाओं तक पहुँचने में सहायता करता है[1]।

संपर्क जानकारी


संपर्क व्यक्ति: डॉ. संदीप कुमार, अधीक्षक
पता: टीएलएम कम्युनिटी हॉस्पिटल, पी. ओ. नैनी, इलाहाबाद जिला, उत्तर प्रदेश – 211 008
फोन: +91 532 2697267/2697494, +91 9335729241
ईमेल: naini@leprosymission.in

यह अस्पताल न केवल चिकित्सा उपचार प्रदान करता है बल्कि कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता और शिक्षा भी फैलाता है, जिससे समाज में इस रोग के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है।

Leprosy Hospital Naini Prayagraj
Leprosy Hospital Naini Prayagraj

कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग भी कहा जाता है, एक दीर्घकालिक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे बैक्टीरिया के कारण होती है। यह बीमारी मुख्य रूप से त्वचा, नसों, श्वसन तंत्र, और आंखों को प्रभावित करती है। 

कुष्ठ रोग के लक्षणों में शामिल हैं:


त्वचा पर सफेद चकत्ते: ये निशान सुन्न होते हैं और इनमें किसी तरह का सेंसेशन नहीं होता है।
नसों की क्षति: इससे त्वचा में घाव और मांसपेशियों में कमजोरी हो सकती है।
अन्य लक्षण: चेहरे पर विकृति, नाक की संरचना में परिवर्तन, और आंखों की समस्याएं हो सकती हैं।

 संक्रमण और प्रसार


कुष्ठ रोग आमतौर पर बहुत संक्रामक नहीं होता है और यह मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के श्वसन स्राव के माध्यम से फैलता है। हालांकि, यह छुआछूत के माध्यम से भी फैल सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी होती है।

 उपचार


कुष्ठ रोग का उपचार संभव है और इसके लिए मल्टी-ड्रग थेरेपी का उपयोग किया जाता है। इसमें डैपसोन, रिफैम्पिन, और क्लोफैजामिन जैसी दवाओं का संयोजन शामिल होता है[3]। प्रारंभिक अवस्था में उपचार मिलने पर मरीज को विकलांगता से रोका जा सकता है।

रोकथाम


कुष्ठ रोग की रोकथाम के लिए संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचना और निवारक एंटीबायोटिक उपचार का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, जागरूकता और शिक्षा भी इस रोग की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

कुष्ठ रोग का समय पर निदान और उपचार इसे नियंत्रित करने में सहायक होता है, जिससे मरीज की जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है और सामाजिक कलंक को कम किया जा सकता है।


Leprosy Hospital Naini Prayagraj
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लेप्रोसी हॉस्पिटल नैनी प्रयागराज
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