
प्रयागराज में दूधाधारी महाराज का आश्रम
प्रयागराज के फाफामऊ में स्थित दूधाधारी महाराज जी का आश्रम एक ऐसा स्थान है जो अपनी आध्यात्मिक शांति और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह आश्रम गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है, जो इसे एक प्राकृतिक और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। फाफामऊ, प्रयागराज का एक उपनगर है, जो शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

प्रयागराज में दूधाधारी महाराज के आश्रम का इतिहास
दूधाधारी महाराज जी के आश्रम का इतिहास काफी पुराना है। इस मठ की स्थापना संत बलभद्र दास जी महाराज द्वारा की गई थी, जो हनुमान जी के परम भक्त थे। वे केवल गाय के दूध का सेवन करते थे और इसी कारण इस मठ का नाम 'दूधाधारी' पड़ा। यह मठ लगभग 500 साल पुराना है और इसका पुनर्निर्माण अंग्रेजी शासनकाल में हुआ था।

दूधाधारी महाराज के आश्रम तक कैसे पहुंचे?
फाफामऊ तक पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं। फाफामऊ जंक्शन रेलवे स्टेशन प्रयागराज से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, जहां से नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से भी आप आसानी से फाफामऊ पहुंच सकते हैं, जो कि प्रयागराज-लखनऊ राजमार्ग पर स्थित है।

प्रयागराज में दूधाधारी आश्रम का महत्व
फाफामऊ और इसके आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जो आपकी यात्रा को और भी रोचक बना सकते हैं। संगम, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का मिलन होता है, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। इसके अलावा, श्रृंगवेरपुर भी एक ऐतिहासिक स्थान है, जहां भगवान राम ने वनवास जाते समय गंगा नदी को पार किया था।

दूधाधारी महाराज का आश्रम प्रयागराज का एक पर्यटन स्थल
इस प्रकार, दूधाधारी महाराज जी का आश्रम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। अगर आप आध्यात्मिक शांति की तलाश में हैं या इतिहास और संस्कृति में रुचि रखते हैं, तो यह स्थान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।


