मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज), उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध भारतीय विद्वान, शैक्षिक सुधारक, और राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका के लिए जाना जाता है। मालवीय जी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की, जो आज भी भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में से एक है।
मालवीय जी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की और बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की। वे एक कुशल वकील थे और उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने 1911 में अपनी 50वीं वर्षगांठ पर वकालत छोड़ दी ताकि वे राष्ट्र सेवा में अपना समय दे सकें।
प्रयागराज से उनके संबंध का मुख्य कारण उनका जन्म और शिक्षा है। उन्होंने इलाहाबाद में अपने प्रारंभिक जीवन का अधिकांश समय बिताया और यहीं से वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हुए। मालवीय जी ने प्रयागराज में कई सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी योगदान दिया।
मदन मोहन मालवीय को उनके योगदान के लिए मरणोपरांत 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया[6]. उनका जीवन और कार्य भारतीय समाज और शिक्षा के क्षेत्र में प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं।