प्रयाग संगीत समिति टैगोर टाउन प्रयागराज

0
Prayag Sangeet Samiti

प्रयाग संगीत समिति का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। यह संस्था भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहां प्रयाग संगीत समिति के विस्तृत इतिहास का विवरण दिया गया है:

स्थापना और प्रारंभिक वर्ष


 स्थापना
प्रयाग संगीत समिति की स्थापना 1926 में महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर देशराज मेजर (डॉ.) रंजीत सिंह, स्वर्गीय बैजनाथ सहाय और स्वर्गीय सत्यनंद जोशी द्वारा की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत को लोकप्रिय बनाना और इसे संरक्षित करना था। यह संस्था भारतीय सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत पंजीकृत है।

 प्रारंभिक उद्देश्य
समिति का मुख्य उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति लोगों में रुचि और भक्ति को पुनर्जीवित करना था। इसके लिए समिति ने संगीत प्रतियोगिताओं और सम्मेलनों का आयोजन किया, जिससे संगीत के प्रति लोगों की रुचि बढ़ी।

भौतिक संरचना और सुविधाएं


 परिसर
प्रयाग संगीत समिति का परिसर दो भवनों में स्थित है। एक भवन शहर के केंद्र में दक्षिण मलाका में स्थित है, जिसका निर्माण 1936 में हुआ था। दूसरा भवन अल्फ्रेड पार्क (चंद्रशेखर आजाद पार्क) के निकट स्थित है। अल्फ्रेड पार्क परिसर में एक ओपन-एयर थिएटर 'मुक्तांगन' भी है, जिसमें 2500 दर्शकों की क्षमता है। इसके अलावा, यहां एक मिनी ऑडिटोरियम भी है, जिसमें 200 लोगों की क्षमता है।

 मुक्तांगन
मुक्तांगन एक खुला थिएटर है, जिसमें सुंदर विशेषताएं जैसे टेरेस, घास के बिस्तर, फूल और कई जल फव्वारे हैं। यह लगभग आधे एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसमें एक अर्धचंद्राकार मंच है।

 शैक्षणिक कार्यक्रम और पाठ्यक्रम


 पाठ्यक्रम
प्रयाग संगीत समिति विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम प्रदान करती है, जिनमें वोकल, इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक और डांस शामिल हैं। ये पाठ्यक्रम जूनियर डिप्लोमा, सीनियर डिप्लोमा, संगीत प्रभाकर, और प्रवीण संगीताचार्य स्तर के होते हैं।

संबद्धता
समिति विभिन्न विश्वविद्यालयों और बोर्डों से संबद्ध है, जिनमें सीबीएसई, यूपी बोर्ड, और भारत सरकार के शिक्षा विभाग शामिल हैं।

 प्रमुख योगदान और उपलब्धियां


 भारतीय शास्त्रीय संगीत का पुनरुद्धार
प्रयाग संगीत समिति ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसने संगीत प्रतियोगिताओं और सम्मेलनों का आयोजन करके संगीत के प्रति लोगों की रुचि और भक्ति को पुनर्जीवित किया है।

संगीत शिक्षा में योगदान
समिति ने उत्तर प्रदेश राज्य के हाई स्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षाओं के पाठ्यक्रम में संगीत को एक विषय के रूप में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

 प्रमुख पूर्व छात्र


प्रयाग संगीत समिति के कई प्रसिद्ध पूर्व छात्र हैं, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इनमें शामिल हैं:

- पंडित छन्नू लाल मिश्रा (वोकल)
- पंडित किशन महाराज (तबला)
- पंडित राजन और साजन मिश्रा (वोकल)
- श्रीमती कमला बोस (वोकल)
- श्रीमती शोभा मुद्गल (वोकल)

 समकालीन स्थिति


वर्तमान गतिविधियां
प्रयाग संगीत समिति आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार में सक्रिय है। यह विभिन्न संगीत प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं और सम्मेलनों का आयोजन करती है। इसके अलावा, समिति नियमित रूप से संगीत परीक्षाओं का आयोजन करती है और संगीत शिक्षा के क्षेत्र में उच्च मानदंड स्थापित करती है।

भविष्य की योजनाएं
समिति का उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय संगीत को और अधिक लोकप्रिय बनाना और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। इसके लिए समिति विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है और ऑनलाइन पाठ्यक्रम भी प्रदान कर रही है।


 निष्कर्ष


प्रयाग संगीत समिति का इतिहास भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रति समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। इसने न केवल संगीत के प्रति लोगों की रुचि को पुनर्जीवित किया है, बल्कि इसे संरक्षित और प्रचारित भी किया है। आज भी, यह संस्था भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान रखती है और इसके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।


Prayag Sangeet Samiti
Prayag Sangeet Samiti
Prayag Sangeet Samiti

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !