नागवासुकी मंदिर दारागंज प्रयागराज

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Nagvasuki Temple Prayagraj

नागवासुकी मंदिर की पौराणिक कहानी क्या है?

नागवासुकी मंदिर की पौराणिक कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। पुराणों के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तब नागराज वासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटा गया था। इस प्रक्रिया के दौरान वासुकी का शरीर अत्यधिक रगड़ खा गया, जिससे उन्हें जलन होने लगी। इस समस्या का समाधान भगवान विष्णु ने यह बताकर किया कि वासुकी को प्रयागराज आकर सरस्वती नदी का अमृत जल पीना चाहिए, जिससे उनकी पीड़ा समाप्त हो जाएगी।

Nagvasuki Temple Prayagraj

नागवासुकी मंदिर का प्रमाणित इतिहास क्या है?

यह मंदिर प्रयागराज के दारागंज क्षेत्र में स्थित है और इसका निर्माण 10वीं सदी में हुआ माना जाता है। इतिहास में यह भी उल्लेखित है कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था। किंवदंती के अनुसार, जब उसने मूर्ति पर तलवार चलाई, तो नागवासुकी का भव्य रूप प्रकट हुआ और वह डरकर बेहोश हो गया। इस मंदिर का जीर्णोद्धार नागपुर के राजा श्रीधर भोसले द्वारा किया गया था और हाल ही में 2001 में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने भी इसे मरम्मत कराई।

नागवासुकी मंदिर दारागंज प्रयागराज

नागवासुकी मंदिर प्रयागराज में कहां पर मौजूद है?

नागवासुकी मंदिर प्रयागराज के संगम तट के निकट दारागंज के उत्तरी कोने पर स्थित है। यह स्थान तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल माना जाता है, जहां श्रद्धालु गंगा तट पर पूजा-अर्चना करने आते हैं।

नागवासुकी मंदिर दारागंज

नागवासुकी मंदिर में कब-कब भीड़ होती है?

नागवासुकी मंदिर में विशेष रूप से सावन महीने में और नागपंचमी के दिन भारी भीड़ होती है। इस दौरान श्रद्धालु रुद्राभिषेक और महाभिषेक जैसे अनुष्ठान करने आते हैं। इसके अलावा कुंभ और अर्धकुंभ मेले के समय भी यहां लाखों तीर्थयात्री दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।

Nagvasuki Temple Draganj Prayagraj

नागवासुकी मंदिर की बनावट और शैली कैसी है?

नागवासुकी मंदिर की वास्तुकला वेशर शैली में निर्मित है। गर्भगृह में नाग-नागिन की पत्थर की मूर्ति स्थापित है, जो 10वीं सदी की मानी जाती है। इसके अतिरिक्त यहां गणेश और पार्वती की मूर्तियां भी हैं।

Nagvasuki Temple Draganj Prayagraj

नागवासुकी मंदिर का आज क्या महत्व है?

आज नागवासुकी मंदिर हिंदू धर्मावलंबियों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। मान्यता है कि यहां पूजा करने से कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है और श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सावन मास में विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिससे भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।

Nagvasuki Temple Draganj Prayagraj

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