कोरांव, उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण विकास खंड है, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही बौद्ध और मौर्य सभ्यता का केंद्र रहा है, जिसे यहां मिले अवशेषों और मूर्तियों से प्रमाणित किया जा सकता है।
इतिहास और गठन
कोरांव का इतिहास बौद्ध काल और मौर्य काल से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र प्राचीन समय में एक विकसित नगर था, जहां मौर्य काल के अशोक स्तंभ के अवशेष और बुद्ध की मूर्तियां मिली हैं। यह तहसील प्रयागराज जिले की आठ तहसीलों में से एक है।
ग्राम पंचायतें और जनसंख्या
कोरांव विकास खंड में कुल 115 ग्राम पंचायतें हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, कोरांव नगर की आबादी 14,821 है, जबकि पूरी तहसील की ग्रामीण जनसंख्या 286,982 थी। इस जनसंख्या में 53% पुरुष और 47% महिलाएं शामिल थीं।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं
कोरांव में शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी प्रगति हुई है। यहां लगभग 100 सरकारी स्कूल हैं जो प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा प्रदान करते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो यहां 12 सरकारी स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।
साक्षरता दर
कोरांव की साक्षरता दर लगभग 73% है, जो इसे शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करती है। यहां महिला शिक्षा को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।
विशेषताएं और मशहूर इलाका
कोरांव अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। यहां बौद्ध महोत्सव बड़े पैमाने पर आयोजित किए जाते हैं, जिससे यह क्षेत्र अपनी खोई हुई ऐतिहासिक पहचान को पुनः प्राप्त करने की ओर अग्रसर है। महुली बाजार का काली माता का मंदिर और बाबा रंग नाथ धाम इस क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
यातायात और परिवहन
कोरांव सड़क मार्ग द्वारा प्रयागराज और मिर्जापुर से जुड़ा हुआ है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग 135सी गुजरता है, जिससे निजी बसें नियमित रूप से उपलब्ध रहती हैं। यह स्थान प्रयागराज से लगभग 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
दर्शनीय स्थल
कोरांव के विभिन्न स्थानों पर धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन होता रहता है। भोगन के हनुमान जी, बघोल के हनुमान जी, कालिकन की माँ काली जैसे धार्मिक स्थल यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। इसके अलावा, बड़ोखर, देवघाट और महुली जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया जा सकता है।
प्रमुख सड़कें
प्रमुख नदियां
इस प्रकार, कोरांव विकास खंड न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए बल्कि अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है। यह क्षेत्र न केवल प्रयागराज जिले बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है। कोरांव विकास खंड के सभी 115 ग्राम पंचायतों के नाम नीचे दिए गए हैं।
| अकबरशाहपुर | जमुआघूस | बलवनिया |
| अमिलियापाल | जादीपुर | बंशीपुर |
| अयोधया | जोखट | बसगडी |
| अरूवारी | टीकर | बसहरा |
| अल्हवा | टुड़ियार | बहरैचा |
| उल्दा | टौगाकला | बहियारी कला |
| कपासीकला | डीलउसरी | बिरहाकरपिया |
| कपूरी बढैया | डीहीखुर्द | बेलहट |
| किहुनी कलां | तरॉव | बैदवार कला |
| किहुनी खुर्द | दर्शनी | भगेसर |
| कुकुरहटा | दुधरा | भलुहा |
| कुरहरा | देवघाट | भवानीपुर |
| कूदर | देवरी | भोगन |
| कैथवल | देवीबॉध | मझिगवॉ |
| कोलसरा | धाव | मडफा कला |
| कोसफरा कला | धोबहट | महुली |
| कोसफराखुर्द | नीबी | माडो |
| कौढी | नेवदियापाल | मानपुर |
| खजुरीकलां | पटेहरी | मैलहा |
| खजुरीखुरद | पड़रिया | रत्यौरा |
| खपटिहा | पथरताल | रत्यौराकरपिया |
| खिवली कला | पवारी | राजपुर |
| खीरी | पसना | राजापुर |
| खीरी रामगढ | पारा | रामपुर कला |
| गड़ियामुरलीपुर | पियरी | लखनपुर |
| गाढा | पूरादततू | लेड़ियारी |
| गिरगोठा | पौतिहा | लौवाकोन |
| गोबरी | बघोल | समरी बाघराय |
| गौहानी | बडोखर | सलैया |
| घघसाही | बडोखरा | संसारपुर |
| घूंघा | बढवारी कला | साजी |
| चन्दापुर | बदौआकलांपाल | सिकरो |
| चिरॉव | बदौर | सिपौवा |
| चॉदी | बभनपटटी | सिरोखर |
| छडगडा | बरनपुर | सीकी कला |
| छापर | बरहा | सेमरिहा |
| छापरहरदौन | बरहुला कला | सेमरी जिरौेहां |
| जमुआ जमसोत | बरौहां | सैम्हा |
| हण्डिया |
