
दशाश्वमेध मंदिर प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर
दशाश्वमेध घाट पर स्थित है, जो गंगा नदी के किनारे पर है। इस मंदिर का ऐतिहासिक
और धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह माना जाता है कि यहां सृष्टि के नियंता
भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए दशाश्वमेध यज्ञ किया था। इस
यज्ञ के कारण ही इस स्थान का नाम दशाश्वमेध पड़ा।

दशाश्वमेध मंदिर और घाट का धार्मिक महत्व काफी गहरा है। पुराणों के अनुसार, जो
श्रद्धालु संगम में स्नान करके लौट जाते हैं और दशाश्वमेध घाट पर स्नान नहीं
करते, उन्हें प्रयाग तीर्थ यात्रा का पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता। यह स्थान विशेष
रूप से श्रावण मास में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है, जब देश के विभिन्न कोनों
से श्रद्धालु यहां भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए आते हैं।

श्रावण मास के दौरान, दशाश्वमेध घाट पर विशेष रूप से कांवर यात्रा करने वाले
श्रद्धालुओं की भीड़ होती है। कांवड़िये यहां गंगा में स्नान करते हैं और फिर
भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। यह प्रक्रिया उनकी कांवड़ यात्रा का एक
महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर स्नान और जलाभिषेक
करने से विशेष फल प्राप्त होता है, जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलता।

दशाश्वमेध मंदिर और घाट का यह अनूठा धार्मिक महत्व इसे श्रद्धालुओं के लिए एक
प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनाता है, विशेषकर सावन के महीने में।


