सुभद्रा कुमारी चौहान एक प्रसिद्ध भारतीय कवयित्री और लेखिका थीं, जिनका जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के निकट निहालपुर गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य में अपनी राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत कविताओं के लिए जानी जाती हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता *झाँसी की रानी* है, जो रानी लक्ष्मीबाई के साहस और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का वर्णन करती है। यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों के बीच प्रेरणा का स्रोत बनी और आज भी अत्यधिक लोकप्रिय है।
प्रमुख कृतियाँ
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में *झाँसी की रानी*, *वीरों का कैसा हो वसंत*, और *जलियाँवाला बाग में वसंत* जैसी कविताएँ शामिल हैं। उन्होंने कुल 88 कविताएँ और 46 कहानियाँ लिखी हैं, जिनमें से कई में राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक मुद्दों का चित्रण है। उनकी कहानियाँ और कविताएँ सरलता, भाव-व्यंजकता और मार्मिकता के लिए जानी जाती हैं।
प्रयागराज से संबंध
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयागराज के निकट निहालपुर गाँव में हुआ था, और उनका विद्यार्थी जीवन भी प्रयागराज में ही बीता। उन्होंने यहाँ के क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में शिक्षा प्राप्त की। उनके जीवन का प्रारंभिक काल प्रयागराज में बीता, जहाँ उनकी काव्य प्रतिभा का विकास हुआ। सुभद्रा और महादेवी वर्मा बचपन की सहेलियाँ थीं, और दोनों ने मिलकर साहित्यिक गतिविधियों में भाग लिया। प्रयागराज ने उनके साहित्यिक जीवन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।