
प्रयागराज के आनंद भवन की कहानी
प्रयागराज रेलवे स्टेशन से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक इमारतें- आनंद भवन एवं स्वराज भवन। यहीं पर जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था, लेकिन इन इमारतों का इतिहास इससे भी ज्यादा पुराना है।

प्रयागराज का आनंद भवन था कभी महमूद मंजिल
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान को अक्सर किसी न किसी काम से प्रयागराज में काफी लंबे समय तक रहना पड़ता था इसलिए उन्होंने 1871 में यहाँ जमीन खरीद कर इस भवन का निर्माण करवाया। तब इसे कहा जाता था- महमूद मंजिल ।

प्रयागराज का महमूद मंजिल कैसा बना आनंद भवन?
बाद में जब प्रयागराज से उन्हें हमेशा के लिए जाना पड़ा तब उन्होंने यह घर मुरादाबाद निवासी जज परमानंद के हाथ बेच दिया था। तब इसका नया नाम पड़ गया आनंद भवन।

प्रयागराज का आनंद भवन कैसे बना राजनीति का केंद्र?
मोतीलाल नेहरू जब एक जाने-माने वकील के रूप में स्थापित हो गए और उनके पास काफी पैसा आ गया तब उन्होंने 7 अगस्त 1899 को 20 हजार रुपये में इसे रहने के लिए खरीद लिया। इसके बाद से यह स्थान भारत की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का एक मुख्य केंद्र बन गया।

प्रयागराज का आनंद भवन है एक संग्रहालय
भारत की आजादी से जुड़े हुए कई निर्णय यहीं पर लिए गए। कई महत्वपूर्ण बैठकों का यहां पर आयोजन किया गया। वर्तमान में यह भवन नेहरू परिवार के गहरे इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए एक संग्रहालय के रूप में संरक्षित है।

प्रयागराज का आनंद भवन है एक ऐतिहासिक धरोहर
प्रयागराज आने वाले पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र है क्योंकि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की यह जन्मस्थली है। और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का भी जन्म इसी भूमि पर बने स्वराज भवन में हुआ था।
